जमुई /बिहार। बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ. उदयकांत मिश्रा द्वारा पटना से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शीतलहर और ठंड के आगमन के पूर्व ही बचाव और यथोचित सुरक्षा के लिए गाइडलाइंस जारी किया गया।
डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट अभिलाषा शर्मा समाहरणालय स्थित कार्यालय प्रकोष्ठ से वीडियो कांफ्रेंसिंग में शामिल हुईं और देय निर्देशों को आत्मसात किया।
मौके पर वांछित प्रतिवेदन प्रस्तुत कर बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को यथोचित जानकारी दी और उन्हें निर्देश का अनुपालन सुनिश्चित किए जाने के लिए आश्वस्त किया।
उपाध्यक्ष ने गाइडलाइंस की चर्चा करते हुए कहा कि शीत लहर और ठंड से बचाव के लिए सजग और सचेत रहें। शीत लहर आने के पहले आमजन पर्याप्त संख्या में गरम कपड़े रखें। ओढ़ने के लिए बहुपरत का कपड़ा भी उपयोगी है। आपातकाल के लिए आपूर्ति हेतु तैयार रहें। शीत लहर के दौरान यथासंभव घर के भीतर रहें और ठंडी हवा से बचने के लिए कम से कम यात्रा करें। सूखा रहें , यदि गीले हो जाएं तो शरीर की गर्मी को बचाने के लिए शीघ्रता से कपड़े बदलें। निरंगुल दस्ताने ठंड में ज्यादा गरम और ज्यादा अच्छा रक्षा कवच होता है। मौसम की ताजा खबर के लिए रेडियो सुने , टीवे देखें और समाचार पत्र पढ़ें। नियमित रूप से गरम पेय सेवन करें। बुजुर्ग और बच्चों का ठीक से देखभाल करें। ठंड में पाइप जम जाता है , इसलिए पेयजल का पर्याप्त संग्रहण करके रखें। उंगलियों , अंगुठों का सफेद होना या फीकापन , नाक से पानी आना आदि शीत दंश लक्षण हैं। शीत दंश से प्रभावित क्षेत्रों को गर्म नहीं करें , गर्म पानी डालें। शीत लहर के दौरान हायपोथरमिया होने की स्थिति में प्रभावित व्यक्ति को गरम स्थान पर ले जाकर उसके कपड़े बदलें। प्रभावित व्यक्ति के शरीर को शरीर के साथ संपर्क करके गरम करें। उन्हें कंबल के बहु परत , कपड़े , टावेल या शीट से ढकें। शरीर को गरम करने के लिए गरम पेय दें। शीतदंश क्षेत्र की मालिश न करें। इससे अधिक नुकसान हो सकता है। कंपकंपी को नजरअंदाज नहीं करें। यह ठंड का एक महत्वपूर्ण संकेत है।
कंपकपी वाले व्यक्ति का शरीर गर्मी खोता है इसलिए प्रभावित जन को तुरंत घर के भीतर करें।
उपाध्यक्ष ने आगे कहा कि कृषि के संबंध में शीत लहर व ग्राऊंड फ्रॉस्ट के दौरान फसलों को ठंड से बचाने के लिए प्रकाश की व्यवस्था करें।
बार-बार सिंचाई व स्प्रिंकलर सिंचाई भी उपयोगी है। बिना पके फलों के पौधों को सरकंडा , स्ट्रॉ , पॉलीथिन शीट्स , गनी बैग आदि से ढक दें। केले के गुच्छों को छिद्र युक्त पॉलीथीन बैग से ढक दें।
धान की नर्सरी में रात के समय नर्सरी क्यारियों को पॉलीथिन की चादर से ढक दें और सुबह हटा दें। शाम को नर्सरी क्यारियों की सिंचाई करें और सुबह पानी निकाल दें। सरसों , राजमा और चना जैसी संवेदनशील फसलों को पाले के हमले से बचाने के लिए सल्फ्यूरिक एसिड @ 0.1 प्रतिशत (1000 लीटर पानी में 1 लीटर H2SO4) या थियोरिया @ 500 पीपीएम (1000 लीटर पानी में 500 ग्राम थियोरिया) का छिड़काव करें। यदि आपका क्षेत्र शीत लहर से ग्रस्त है तो इसका प्रभाव आश्रयों से खत्म करें। दो पौधों के बीच खाली जगह में फसलें उगाएं। फरवरी के अंत या मार्च की शुरूआत में पौधों के प्रभावित हिस्सों की छंटाई करें।
काटे गए पौधों पर तांबा कवकनाशी का छिड़काव करें और सिंचाई के साथ एनपीके दें। ठंड के मौसम में मिट्टी में पोषक तत्व न डालें। ठंड की वजह से इन्हें पौधे अवशोषित नहीं कर पाते हैं। खेत के मिट्टी की गुड़ाई ना करें। ऐसा करने से ढीली सतह निचली सतह से गर्मी के प्रवाहकत्व को कम कर देती है। पशुपालक मवेशियों को रात के समय शेड के भीतर रखें और उन्हें सूखा बिस्तर लगाकर ठंड से बचाने का प्रबंध करें। ठंड की स्थिति से निपटने के लिए पशुओं को स्वस्थ रखने हेतु आहार में प्रोटीन के स्तर और खनिजों को बढ़ाएं। जानवरों की ऊर्जा की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पशुओं को नियमित रूप से नमक के साथ खनिज मिश्रण और गेहूं के दाने , गुड़ आदि उचित मात्रा में दैनिक आहार में दें। पोल्ट्री में और पोल्ट्री शेड में कृत्रिम प्रकाश प्रदान करके चूजों को गर्म रखें। पशुपालक सुबह के समय मवेशियों व बकरियों को चरने नहीं दें। रात के समय पशु व बकरी को खुले में नहीं रखें।
उपाध्यक्ष ने कहा कि अस्पताल में जीवन रक्षक दवाओं का भंडारण सुनिश्चित करें। वार्ड में हीटर , कंबल के साथ एंबुलेंस का प्रबंध किया जाए। शीतलहर के समय धुंध से निपटने के लिए सड़कों पर रिफ्लेक्टर के साथ साइनबोर्ड लगाना है। सामाजिक सुरक्षा कोषांग गरीब और निसहाय लोगों को कंबल देने के लिए इसके खरीद के लिए निविदा कर लिया जाए। जरूरत के मुताबिक नामित जगहों पर रैन बसेरा की व्यवस्था किया जाए। उन्होंने मीडिया से इस बाबत प्रचार-प्रसार कराए जाने का निर्देश दिया।