(1) भारतीय मूल के आप्रवासियों की संस्कृतिक चेतना को रामचरित मानस अनुप्राणित कर रहा है।
(2) जीवन में मूल्यों की प्रतिष्ठा की चाह में हर व्यक्ति तुलसी की रामकथा की ओर देखता है।
(3) तुलसी के राम हर मानवीय सम्बंध में आचरण की असाधारण उच्चता प्रदर्शित करते है।
(4) राम का चुम्बकीय व्यक्तित्व जब तुलसी के रामचरित मानस में रुपायित किया तो सफलता के प्रति आश्वस्त कम आशंकित ज्यादा थे।
संस्कृत के प्रकांड विद्वान जब अवधि को रचना के लिए चुना तो शिव का आशीर्वाद अपेक्षित था।
” सो उमेश मोही पर अनुकूल
करही कथा मूद मंगल मूला।”घ
सूमरी सिया-शिव पाई पसाऊ
वरनऊ रामचरित चित लाऊ।”
रामचरित मानस की कालजयी लोकप्रियता ने उसे सनातन साहित्य और सर्वप्रिय धर्मग्रंथ का गौरव प्रदान किया ।
” संवत सोरह सौ इकतीस – 1631
करहू कथा हरिपद धरीशीसा।”
ईश्वर की सार्वभौमिक सत्ता।
सियाराम मैं सब जग जानी।
करहू प्रणाम जोड़जूग पाणी
रामचरित मानस हिंदी का classic है।
जगत नन्दन सहाय