मां तुझको अर्पण मेरे जीवन की फुलवारी है
तुच्छ समर्पण मेरा तुझको मां तु कितनी प्यारी है
मस्तक पर कर्तव्य का भार लिए
हाथों में संघर्ष कटार लिए
नग्न पगों से दौड़ पड़ी तुम
ममता का संसार लिए…
भाल की लंबी रेखाएं लिए
कूद पड़ी रण में तन को पाषाण लिए
तेरी वीर शौर्य गाथाओं में
लक्ष्मी,जीजा मातृत्व के चन्द्र हुए
ना कर सकें प्रमाणित तेरी महिमा
चाहें ब्रह्मा ही स्वयं रचनाकार हुए
देख के तेरी दिव्य ज्योत्स्ना
तीनों देव निः शब्द हुए….
तेरे चरणों की कमल वंदना
क्या कोई शास्त्र पुराण करे
तु ही तो है इस ब्रह्माण्ड की जननी
तु ही शून्य में विहार करे…
हैं .. तुमको अर्पण मैंने अपने ये शब्द किए..🙏
अभिलाषा भरद्वाज {मेरी कलम मेरी अभिव्यक्ति }
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