इस क्षमावाणी महापर्व के शुभ अवसर पर जैन धर्म के सभी चौबीसों तीर्थकर (जिनेन्द्र देव) का भव्य पंचामृत अभिषेक, पूजन, पुष्पवृष्टि एवं शांतिधारा हुई। जिसमें पुष्पवृष्टि करने का सौभाग्य विशाल-डॉ विकास चन्द्र जैन एवं शांतिधारा करने का सौभाग्य प्रभा-डॉ राकेन्द्र चन्द्र जैन जी को प्राप्त हुआ। अभिषेक के पश्चात क्षमावाणी महापर्व का पूजन हुआ। जिसमें सैकड़ों की संख्या में पुरूष-महिला एवं बच्चें शामिल हुये।
पर्युषण महापर्व जैन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण पर्व होता है चूंकि ये पर्व दस दिनों तक चलता है तथा प्रत्येक दिवस क्रमशः उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य, संयम, तप, त्याग, आर्किचन, ब्रह्मचर्य, का अलग-अलग साधना के होते है अतः इसलिए दशलक्षण धर्म भी कहते है इस पर्व में कई साधक एक, तीन, पांच या दसों दिन व्रत इत्यादि करके कठिन साधना से अपना आत्म कल्याण करते है साधना के इसी क्रम में विगत पांच वर्षों से दशलक्षण महाव्रत की साधना करने पर आज बिमलेश कुमार जैन सपरिवार को कमिटी द्वारा सम्मानित किया गया।
आयोजन के पूर्णावर्ती पर जैन धर्मावलंबियों ने आपस में मिलकर एक दूसरे से मन, वचन काया से क्षमा मांगी और बोले कि इंसान से कुछ ना भूलवश कोई गलती हो जाती है और माफी मांग लेने से आपस में मन की मलिनता नहीं रहती इसीलिए प्रत्येक वर्ष जैन धर्म में क्षमावाणी पर्व के शुभअवसर पर क्षमा मांगने की परम्परा है।
कार्यक्रम की समाप्ति पर सामुहिक वात्सल्य की व्यवस्था समाज के द्वारा थी जिसे सभी भक्तों ने बड़े ही आनंद के साथ ग्रहण किये। आयोजन को सफल बनाने में समिति के सचिव सुवीर चन्द्र जैन, धीरेन्द्र चन्द्र जैन, अरुण कुमार जैन, आकाश जैन, संयोजक डॉ शशांक जैन, मीडिया प्रभारी निलेश कुमार जैन, बिभु जैन, शैलेश जैन, अनीश जैन, डॉ आदित्य जैन, अपूर्व जैन, साहू जैन, मंजुला जैन, रत्ना जैन, अंजू जैन, भावेश जैन, अमूल जैन, इत्यादि लोगों की सक्रिय भूमिका रही।