(कमलेश दत्त मिश्र) गया/बिहार| कहानी मधेपुरा के बिजेन्दर यादव जी मास्टर साहब के यहाँ का है।बिजेन्दर जी स्वामी जी के शिष्य है जिनके सम्बन्ध में दो कहानी पूर्व में लिख चुका हूं।आज तीसरी कहानी जो उन्ही के परिवार से सम्बंधित है लिख रहा हूँ।
दुर्गा पूजा के अवसर पर उनके घर अष्टमी के दिन स्वर्वेद का अखण्ड पाठ किया जाता है।जिसमे उनके परिवार के सदस्य लोग मिलकर तथा कुछ गुरुभाई लोग मिलकर पूरा करते थे।उनके सब परिवार इसमें भाग लेते थे परन्तु छोटा लड़का कोई रुचि नही लेता था।ओ इधर उधर घूमता रहता था।लोग कहते भी थे कि बैठ कर पाठ करो पर ओ सुनता ही नही था।
एक दिन की घटना है उसके घर पर दुर्गा पूजा केअवसर पर अष्टमी तिथि को पाठ प्रारम्भ किया गया।जैसा कि छोटे लड़के का स्वभाव था ओ कुछ रुचि नही लिया।दोपहर का समय था वो घर के पिछवाड़े में बेल का पेड़ था उधर चला गया।*थोड़ी देर बाद अचानक वर्तमान स्वामी जी प्रकट हो गए और उसको बोले तुम पाठ क्यों नही करते
उसने कोई जबाब नही दिया।स्वामी जी उसका हाथ पकड़े और कहे चलो मेरे साथ और बैठ कर पाठ करो डर के मारे ओ चला गया और बैठ कर जोर जोर से स्वर्वेद का पाठ करने लगा।घर के परिवार को आश्चर्य हुआ कि ये तो कभी पाठ करता नही था।इस बार अपने से पाठ करने कैसे बैठ गया।ओ बहुत देर तक जोर जोर से स्वर्वेद के दोहे का पाठ बिना रुके करता रहा।जब काफी देर हो गई तो लोग चाहै कि अब इसे रेस्ट दिया जाय पर ओ सुनने को तैयार नही था।
अंत मे सब गुरुभाई से विचार किये क्या किया जाय।अंत मे सभी गुरुभाई मिलकर स्वामी जी से प्रार्थना किये प्रभु इसका उपाय कीजिये लगता है ये सनक गया है।ये तो पाठ पर से उठ नही रह है।
जब सब लोग प्रार्थना किये तो सद्गुरुदेव प्रार्थना सुन लिए सद्गुरुदेव उसको आदेश दिए अब तुम पाठ बंद कर जाओ।
आदेश मिलते वह पाठ बंद कर दूसरे को करने के लिए जगह खाली कर दिया।बाद में लोग उससे पूछे क्या कारण है आज तुम इतने देर तक पाठ करते रहे गए।इसपर ओ सारी कहानी सुना दिया।कि मैं घर के पीछे बेल के पेड़ के पास खड़ा था उसी समय बड़े स्वामी जी प्रकट होकर मेरा हाथ पकड़ कर पूजा घर ले आये और जबरदस्ती पाठ करने के लिए बिबस कर दिए और बोले मैं जब तक यहाँ बैठता हूँ तुम पाठ करते रहना।इसलिए मैं उन्ही के डर से स्वर्वेद का पाठ करता रहा।फिर वे जब आदेश दिए उठने के लिए तब हम उठे हैं।
स्वामी जी जिस ब्यक्ति से जो काम करना चाहते हैं तो ओ काम उससे करा ही लेते हैं।
बोलिये सद्गुरुदेव भगवान की जय