कभी मौका दो खुद को 
कदम कदम मुस्कुराने का 
फूल तो हर हाल में मुस्कुराया करते हैं 
कभी तरीका दो खुद को 
 वक्त के  साथ गुनगुनाने का 
काँटों के जंगल में फोलों का व्यवहार है 
यही तो प्रेम सौन्दर्य का प्रियतम संसार है
कभी मौका दो खुद को
फूलों के साथ जीवन भावार्थ को
यही तो प्रेम सौन्दर्य का प्रियतम संसार है
कभी मौका दो खुद को
फूलों के साथ जीवन भावार्थ को
सारांश बनोगे निश्चित ही 
कभी तो मौका दो खुद को 
त्याग अहम् भाव निःस्वार्थ को ||
अभिलाषा भरद्वाज {मेरी कलम मेरी अभिव्यक्ति }

