Tribute to Geeta Ojha ji: Spiritual atmosphere in the satsang of Vihangam Yoga
आरा / भोजपुर | आरा संत समाज और विहंगम योग परिवार द्वारा आज एक भावभीनी श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया, जिसमें उच्च कोटि की साधिका गीता ओझा जी को स्मरण किया गया। यह कार्यक्रम सत्संग, भजन और प्रवचन से ओत-प्रोत रहा, जिसमें आध्यात्मिकता और भक्ति की गहन अनुभूति हुई।
विहंगम योग के सिद्धांतों को अपने जीवन में आत्मसात करते हुए गीता ओझा जी ने यह साक्षात चरितार्थ किया कि जीवन और मरण एक क्रीड़ा है। उन्होंने संत सत्संग और आत्मज्ञान के माध्यम से इस सत्य का बोध कराया कि मानव जीवन का सबसे बड़ा कष्ट बार-बार जन्म और मृत्यु का चक्र है।
कार्यक्रम में “स्वर्वेद” से प्रेरित उपदेश दिए गए, जिसमें स्वामी सद्गुरु के विचारों को उद्धृत किया गया:
“कर्म मरण संसार का, ज्ञान मरण है संत। सुरति द्वार हंसा चले, निज घर मिले अनंत।।”
प्रवचन में बताया गया कि केवल संत सद्गुरु ही भक्ति और मुक्ति का मार्ग दिखा सकते हैं। उनके बिना मनुष्य जीवन में भटकाव और भ्रांतियां बनी रहती हैं। आत्म कल्याण के लिए संत सत्संग और साधना अनिवार्य है।
मीडिया प्रभारी सुरेश कुमार ने बताया कि गीता ओझा जी के सम्मान में दो मिनट का मौन व्रत रखा गया। सद्गुरु प्रभु से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में जिला परामर्शक दीपनारायण प्रसाद, मीडिया प्रभारी सुरेश कुमार, पीरो अनुमंडल संयोजक धर्मेंद्र कुमार धीरज, डॉ. अंशु सिंह, निर्मल चंद्र प्रसाद, रीता देवी, जयमालती राय, किरण पांडेय, सरिता पाठक, शीला सिंह, प्रियंका गुप्ता, मीनू उपाध्याय और पिंकी प्रसाद सहित अन्य सदस्यों की सक्रिय भूमिका रही।
इस भावपूर्ण कार्यक्रम ने सभी को यह प्रेरणा दी कि आत्मज्ञान और भक्ति का मार्ग संत सत्संग से होकर गुजरता है। गीता ओझा जी के योगदान को स्मरण करते हुए, यह सभा उनकी स्मृतियों और आध्यात्मिक प्रेरणा को चिरस्थायी बनाने का एक प्रयास किया गया ।