Dalit Samagam rally, doctors' strike and political tension
पटना, बिहार में आज कई महत्वपूर्ण घटनाएं सामने आईं, जिनका सीधा असर राज्य की राजनीति, स्वास्थ्य व्यवस्था और सामाजिक मुद्दों पर पड़ा।
पटना के गांधी मैदान में आज दलित समागम रैली का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और कई अन्य बड़े दलित नेता शामिल हुए। इस रैली में दलित समुदाय के अधिकारों, उनके उत्थान और शिक्षा एवं रोजगार में समान अवसरों की मांग उठाई गई।
जीतन राम मांझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से दलितों के लिए विशेष योजनाओं की घोषणा करने की अपील की। उन्होंने कहा कि जब तक समाज के सबसे पिछड़े वर्ग को मुख्यधारा में नहीं लाया जाएगा, तब तक बिहार का समुचित विकास संभव नहीं है।
पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (PMCH) के जूनियर डॉक्टरों ने आज अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। उनका कहना है कि चार महीने से उन्हें स्टाइपेंड नहीं मिला, जिससे वे आर्थिक संकट में हैं।
डॉक्टरों की हड़ताल के चलते अस्पताल की ओपीडी सेवाएं प्रभावित हुई हैं और मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। मरीजों और उनके परिजनों में गुस्सा और निराशा देखने को मिल रही है। अस्पताल प्रशासन ने हड़ताली डॉक्टरों से जल्द काम पर लौटने की अपील की है।
बिहार में नीतीश कैबिनेट के विस्तार को लेकर भाजपा नेताओं में नाराजगी देखी जा रही है। भाजपा नेताओं का आरोप है कि कैबिनेट में उनके मंत्रियों की संख्या नहीं बढ़ाई जा रही, जबकि सरकार में उनकी महत्वपूर्ण भागीदारी है।
इस मुद्दे पर भाजपा और जदयू के बीच बयानबाजी तेज हो गई है, जिससे NDA सरकार में तनाव बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में यह विवाद और गहरा सकता है।
आज की घटनाओं से स्पष्ट है कि बिहार में सियासी, सामाजिक और स्वास्थ्य क्षेत्र में हलचल तेज हो रही है। जहां एक तरफ दलितों के मुद्दे को लेकर पटना में बड़ा आयोजन हुआ, वहीं पीएमसीएच की हड़ताल से मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। साथ ही कैबिनेट विस्तार को लेकर भाजपा-जदयू में बढ़ती खींचतान बिहार की राजनीति में नए समीकरण बना सकती है।