पटना। बिहार के 13 करोड़ लोगों की वर्षों पुरानी मांग एक बार फिर अधर में लटक गई है। लोकसभा के बजट सत्र के दौरान सांसद सुदामा प्रसाद ने शून्य काल में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठाई। उन्होंने बिहार की गंभीर आर्थिक स्थिति, बेरोजगारी, पलायन और पिछड़ेपन को प्रमुख मुद्दा बनाते हुए केंद्र सरकार से इस पर ठोस निर्णय लेने की अपील की।
बिहार में बढ़ती बेरोजगारी और पलायन की समस्या
सांसद सुदामा प्रसाद ने लोकसभा में बिहार के युवाओं की बदहाल स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य में 33 लाख से 43 लाख तक युवा बेरोजगार हैं। नौकरियों के अवसर लगातार घटते जा रहे हैं, जिससे मजबूरन बिहार के युवाओं को दूसरे राज्यों में पलायन करना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि बिहार में प्रति व्यक्ति सालाना आय महज 60,337 रुपए है, जो देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे कम है।
बिहार के सामाजिक-आर्थिक हालात
सांसद ने बिहार सरकार द्वारा कराए गए 2022 की सामाजिक, आर्थिक और जातिगत जनगणना का हवाला देते हुए बताया कि राज्य में 34.13% परिवार ऐसे हैं, जिनकी मासिक आय 6,000 रुपए से भी कम है, जबकि केवल 4% परिवारों की मासिक आय 50,000 रुपए से अधिक है।
बिहार की सामाजिक संरचना पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि यहां पिछड़े और कमजोर वर्गों की बड़ी आबादी है, जिसमें 63% ईबीसी और ओबीसी, 19.65% अनुसूचित जाति (SC) और 1.9% अनुसूचित जनजाति (ST) शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी आबादी सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ी हुई है, इसलिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए।
विशेष राज्य का दर्जा क्यों जरूरी?
सांसद सुदामा प्रसाद ने कहा कि यदि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलता है, तो राज्य को केंद्र सरकार से अधिक आर्थिक मदद मिलेगी। इससे बुनियादी ढांचे का विकास, उद्योगों की स्थापना और रोजगार के नए अवसर सृजित करने में मदद मिलेगी। उन्होंनेसांसद सुदामा प्रसाद की यह आवाज क्या असर डालेगी और क्या केंद्र सरकार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए कोई कदम उठाएगी या नहीं।
भाकपा-माले का समर्थन
सांसद के इस बयान को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के जिला कार्यालय सचिव दिलराज प्रीतम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पत्रकारों को बताया कि उनकी पार्टी लंबे समय से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए संघर्षरत है। उन्होंने कहा कि बिहार के विकास के लिए यह दर्जा जरूरी है और केंद्र सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
केंद्र सरकार की चुप्पी से जनता नाराज
बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा कोई नई मांग नहीं है। यह मांग पिछले दो दशकों से लगातार उठती रही है, लेकिन केंद्र सरकार ने अब तक इस पर कोई ठोस फैसला नहीं लिया। बिहार की जनता को एक बार फिर निराशा हाथ लगी है।
अब देखना यह होगा कि सांसद सुदामा प्रसाद की यह आवाज क्या असर डालेगी और क्या केंद्र सरकार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए कोई कदम उठाएगी या नहीं।
(रिपोर्ट: DNTV India News)