एक पेचीदा प्रश्न पर कुछ विचार-विमर्श करें। कई व्यक्तियों में साधारण योग्यताएँ होते हुए भी उनकी कीर्ति बहुत विस्तृत होती है और कईयों में अधिक योग्यता होते हुए भी उन्हें कोई नहीं पूछता, कोई दुर्गुणी होते हुए भी श्रेष्ठ समझे जाते हैं, कोई सद्गुणी होते हुए भी बदनाम हो जाते हैं, आपने विचार किया कि इस अटपटे परिणाम का क्या कारण है? शायद आप यह कहें कि- “दुनियाँ मूर्ख है, उसे भले-बुरे की परख नहीं”, तो आपका कहना न्याय संगत न होगा क्योंकि अधिकांश मामलों में उसके निर्णय ठीक होते हैं। आमतौर से भलों के प्रति भलाई और बुरों के प्रति बुराई ही फैलती है, ऐसे अटपटे निर्णय तो कभी-कभी ही होते हैं।
कारण यह कि वही वस्तुएँ चमकती हैं जो प्रकाश में आती हैं। सामने वाला भाग ही दृष्टिगोचर होता है। जो चीजें रोशनी में रखी हैं वे साफ-साफ दिखाई देती हैं, हर कोई उनके अस्तित्व पर विश्वास कर सकता है, परन्तु जो वस्तुएँ अंधेरे में, पर्दे के पीछे, कोठरी में बंद रखी हैं उनके बारे में हर किसी को आसानी से पता नहीं लग सकता । इन बातों को ध्यान में रखते हुए आप अपने सदगुणों को प्रकाश में लाने का प्रयत्न कीजिए । जो अच्छाईयाँ, योग्यताएँ, उत्तमताएँ विशेषताएँ हैं, उन्हें छिपाया मत कीजिए वरन इस प्रकार रखा करिए जिससे वे अनायास ही लोगों की दृष्टि में आ जायें। अपने बारे में बढ़-चढ़ कर बातें करना ठीक नहीं, शेखीखोरी ठीक नहीं, अहंकार से प्रेरित होकर अपनी बड़ाई के पुल बाँधना यह भी ठीक नहीं, अच्छी बात को बुरी तरह रखने में उसका सौंदर्य नष्ट हो जाता है। दूसरे प्रसंगों के सिलसिले में कलापूर्ण ढंग से, मधुर वाणी से इस कार्य को सुंदरता पूर्वक किया जा सकता है। अप्रिय सत्य को प्रिय बना कर कहने में बुद्धि-कौशल की परीक्षा है, बुराई की उसमें कुछ बात नहीं। जो गाय पाँच सेर दूध देती है क्या हर्ज है यदि इस बात से दूसरे लोग भी परिचित हो जाएँ ?
अपने अच्छे गुणों को प्रकट होने देने में आपका भी लाभ और दूसरों का भी। हानि किसी की कुछ नहीं। यदि आपके सद्गगुणों, योग्यताओं का पता दूसरों को चलता है तो उनके सामने एक आदर्श उपस्थित होता है, एक दूसरे की नकल करने की प्रथा समाज में खूब प्रचलित है, संभव है कि उन गुणों और योग्यताओं का अप्रत्यक्ष प्रभाव किन्हीं पर पड़े और वे उसकी नकल करने प्रयास में अपना लाभ करें। सद्गुणी व्यक्ति के लिए स्वभावत: श्रद्धा, प्रेम और आदर की भावना उठती हैं, जिनके मन में यह उठती हैं उसे शीतल करती हैं, बल देती हैं, पुष्ट बनाती हैं। दुनिया में भलाई अधिक है या बुराई ? इसका निर्णय करने में अक्सर लोग आसपास के व्यक्तियों को देखकर ही कुछ निष्कर्ष निकालते हैं । आपके संबंध में यदि अच्छे विचार फैले हुए हैं तो सोचने वाले को अच्छाई का पक्ष भी मजबूत मालूम देता है और वह संसार के संबंध में अच्छे विचार बनाता है एवं खुद भी भलाई पर विश्वास कर भली दुनियाँ के साथ त्याग और सेवा सत्कर्म करने को तत्पर होता है।
यह लेख प्रेरणादायक और जीवन के व्यावहारिक पहलुओं पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है। इसे पढ़ने के बाद कुछ प्रमुख विचार मन में आते हैं:
सद्गुणों की अभिव्यक्ति की महत्ता
लेख में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अच्छाइयों और योग्यताओं को सामने लाना चाहिए। अपनी क्षमताओं और अच्छाइयों को छिपाकर रखने से न केवल व्यक्ति स्वयं नुकसान उठाता है, बल्कि समाज भी उससे वंचित रह जाता है। यह विचार आधुनिक संदर्भ में भी उतना ही प्रासंगिक है, जब ब्रांडिंग और व्यक्तिगत पहचान को महत्व दिया जाता है।
अभिव्यक्ति का तरीका
अपने गुणों को साझा करने का तरीका भी महत्वपूर्ण है। शेखी बघारने और विनम्रता के साथ अपने गुणों को प्रकट करने में बड़ा अंतर है। यह लेख सुझाव देता है कि मधुरता और विनम्रता से अपनी अच्छाइयों को सामने रखना अधिक प्रभावी और सकारात्मक होता है।
प्रेरणा और अनुकरण
दूसरों के सामने अपने गुण प्रकट करना केवल आत्म-प्रशंसा का माध्यम नहीं है, बल्कि यह दूसरों को प्रेरित करने का भी एक साधन हो सकता है। लोग अच्छे कार्यों और आदर्शों से प्रेरणा लेते हैं, और यदि वे दूसरों में अच्छाई देखते हैं, तो उनके जीवन में भी सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं।
सामाजिक प्रभाव
लेख में इस पर भी चर्चा है कि आपके सद्गुणों की अभिव्यक्ति समाज में अच्छाई और भलाई का वातावरण बना सकती है। यह सोचने के लिए प्रेरित करता है कि व्यक्ति की अच्छाइयों का प्रभाव न केवल व्यक्तिगत, बल्कि सामूहिक भी हो सकता है।
आपके विचार जानना चाहूँगा
क्या आप इस बात से सहमत हैं कि हमारे गुणों को प्रदर्शित करना समाज के लिए लाभदायक हो सकता है?
क्या आपके जीवन में ऐसा कोई अनुभव रहा है, जहाँ किसी ने आपके गुणों को पहचान कर आपको प्रेरित किया हो या आपने किसी को प्रेरित किया हो?