नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकारों द्वारा गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। यह फैसला राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की सिफारिश के बाद लिया गया था, जिसमें मदरसों के शिक्षा मानकों को लेकर चिंता जताई गई थी।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया है और उनसे इस मुद्दे पर चार सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है। कोर्ट का यह आदेश मदरसों पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ आया है, जिससे इन संस्थाओं पर अभी किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जा सकती।
NCPCR ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मदरसों को शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) का पालन करना चाहिए, और यदि वे ऐसा नहीं करते, तो उन्हें सरकारी अनुदान देने पर रोक लगा दी जाए। इसके बाद कई राज्य सरकारों ने इस दिशा में कदम उठाया था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट की रोक ने इस प्रक्रिया को स्थगित कर दिया है।
इस फैसले के बाद, मदरसों के भविष्य को लेकर नई अनिश्चितताएँ खड़ी हो गई हैं, और सरकारें अब इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए तत्पर हैं।
उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ हफ्तों में इस मामले में और स्पष्टता आएगी।