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Statements on Maha Kumbh

महाकुंभ पर बयानबाजी: विपक्ष पर हिंदू धर्म के प्रति अवमानना का आरोप

महाकुंभ पर्व को लेकर इंडी गठबंधन के नेताओं के विवादित बयानों की श्रृंखला थमने का नाम नहीं ले रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हालिया बयान, जिसमें उन्होंने महाकुंभ को “मृत्यु कुंभ” बताया, को लेकर राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। इसे हिंदू आस्था का अपमान बताते हुए कई नेताओं ने निंदा की है।

भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “ममता बनर्जी का बयान इंडी गठबंधन की सोच का प्रकटीकरण है और भारत के विरुद्ध हिंदू धर्म तथा सनातन धर्म के विरुद्ध हो रहे वैश्विक षड्यंत्र का हिस्सा है।” उन्होंने कहा कि यह केवल एक अनायास आया विचार नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक सुनियोजित रणनीति काम कर रही है।

इससे पहले, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे गंगा स्नान को लेकर टिप्पणी कर चुके हैं, जबकि समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद यादव भी महाकुंभ पर कथित रूप से आलोचनात्मक टिप्पणियाँ कर चुके हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, विपक्षी गठबंधन के इन बयानों को सत्तारूढ़ दल और हिंदू संगठनों ने धार्मिक आस्थाओं के अपमान के रूप में देखा है। डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा कि “2023 में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में ‘सनातन धर्म के उन्मूलन’ की बात आई थी, और 2021 में ‘डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’ नामक सम्मेलन के जरिए हिंदू परंपराओं पर प्रहार करने की कोशिश की गई थी।”

महाकुंभ पर्व की आध्यात्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्ता को देखते हुए इस प्रकार की बयानबाजी से राजनीतिक माहौल गर्मा गया है। धार्मिक संगठनों और संत समाज ने इन बयानों की निंदा करते हुए विरोध जताया है, वहीं विपक्ष का तर्क है कि उनके बयानों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया जा रहा है।

देखना होगा कि इस विवाद पर राजनीतिक दलों की आगे क्या प्रतिक्रिया आती है और क्या यह मुद्दा आगामी चुनावों में कोई भूमिका निभाएगा।