Call for social and political change in Bihar:'Badlo Bihar Mahajutan' to be held in Patna on March 9
आरा: बिहार के आरा शहर में गणतंत्र दिवस से पूर्व आयोजित शाहाबाद स्तरीय बदलो बिहार समागम में राजनीतिक और सामाजिक नेताओं ने भाजपा सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए बिहार में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया। समागम में मुख्य वक्ता भाकपा(माले) के काराकाट सांसद राजाराम सिंह थे, जिन्होंने बिहार के ऐतिहासिक योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य की जनता अब भाजपा के हिंदूवाद के झांसे में नहीं आएगी और वो अपने बुनियादी अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखेंगी।
सिंह ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा, “बीते दस वर्षों में भाजपा ने कारपोरेट घरानों को हजारों करोड़ रुपये की छूट दी है, जबकि गरीबों के लिए जो राहत थी, वह भी अब छीनी जा रही है। बिहार में भाजपा-जदयू की सरकार ने राज्य को कंगाली के कगार पर पहुंचा दिया है।” उन्होंने यह भी कहा कि 2025 में होने वाले विधानसभा चुनावों में बिहार बदलाव का मॉडल बनेगा और देश की सत्ता पर काबिज भाजपा को सत्ता से बाहर करना होगा।
समागम की मुख्य अतिथि, ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी ने भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह संविधान के खिलाफ काम कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा महिलाओं, दलितों और पिछड़ों के अधिकारों को छीनने की कोशिश कर रही है और गरीबों की बजाय कारपोरेट घरानों के हितों को प्राथमिकता दे रही है।
इस समागम में आरा सांसद सुदामा प्रसाद, भाकपा(माले) राज्य सचिव कुणाल, डुमरांव विधायक अजित कुमार सिंह, और कई अन्य नेताओं ने भी भाजपा सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। उन्होंने आगामी 9 मार्च को पटना के गांधी मैदान में होने वाली ‘बदलो बिहार महाजुटान’ रैली में सभी सामाजिक और राजनीतिक ताकतों को एकजुट होने का आह्वान किया।
इस अवसर पर एक 14-सूत्री प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें गरीबों को आवास, भूमि और रोजगार के अधिकारों की गारंटी, शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार, और सोन नहरों के आधुनिकीकरण जैसी महत्वपूर्ण मांगें शामिल थीं।
समागम में विभिन्न सामाजिक संगठनों, किसानों, मजदूरों और अन्य समूहों के नेताओं ने भी शिरकत की और बिहार के विकास के लिए मिलजुल कर संघर्ष करने का संकल्प लिया।