सावन के पहले दिन भोलेनाथ को जल अर्पण करते श्रद्धालु – जानिए इस परंपरा के पीछे का महत्व
DNTV India News | जुलाई 11, 2025 | धर्म-संस्कृति डेस्क
सावन मास—भक्तों के लिए एक ऐसा पावन समय जब भोलेनाथ की कृपा हर दिशा में बरसती है। कल यानी 12 जुलाई से श्रावण मास की शुरुआत हो रही है, और इस बार का सावन विशेष माना जा रहा है क्योंकि पूरे 5 सोमवार इस बार भक्तों को भोलेनाथ की उपासना का अवसर देंगे।
क्या खास है इस बार के सावन में?
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार सावन मास में शुभ संयोग बन रहा है जहां सोमवार और शिव योग का विशेष मेल है।
सोमवार व्रत और जलाभिषेक का दोगुना पुण्यफल मिलने की संभावना बताई जा रही है।
सावन में शिवलिंग पर जल चढ़ाने के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक लाभ:
मन की शांति और तनाव से मुक्ति: शिवलिंग पर गंगाजल या शुद्ध जल चढ़ाना मन और मस्तिष्क को शीतलता देता है।
नकारात्मक ऊर्जा का नाश: वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जलाभिषेक एक प्रकार का सकारात्मक कंपन उत्पन्न करता है जिससे वातावरण भी शुद्ध होता है।
कर्मों का शुद्धिकरण: शास्त्रों के अनुसार सावन में जल चढ़ाने से पूर्व जन्मों के पाप भी क्षीण होते हैं।
स्वास्थ्य लाभ: बेलपत्र, दूध, दही, शहद का अभिषेक आयुर्वेदिक दृष्टि से भी लाभकारी माना गया है।
श्रावण मास का महत्व भारत के विभिन्न क्षेत्रों में:
उत्तर भारत में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है, जहां भक्त हरिद्वार, गंगोत्री से जल लाकर अपने क्षेत्र के शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं।
दक्षिण भारत में ‘वारलक्ष्मी व्रतम’ और रुद्राभिषेक की परंपरा है।
पूर्वी भारत में जलाभिषेक के साथ कथा-कीर्तन और शिव पुराण पाठ का आयोजन किया जाता है।
DNTV India News की विशेष अपील: इस बार सावन के महीने को भक्ति, संयम और सेवा का पर्व बनाएं। पर्यावरण की रक्षा करते हुए जल का संरक्षण करें और सभी धार्मिक अनुष्ठानों में समाज की भलाई की भावना से जुड़ें।
“हर हर महादेव” की गूंज से एक बार फिर गूंज उठेगा भारत, सावन में शिव की भक्ति का अमृत सभी के जीवन में सुख-शांति लाए—यही है हमारी कामना।