ज्ञान की बात

सकारात्मक वचन और सत्संकल्प/मन के साथ एक खेल

कल्पना कीजिए एक दिन आप अपने घर से बाहर निकलते हैं, और आपके साथ एक अदृश्य शक्ति है—आपकी वाणी। यह शक्ति आपके हर शब्द को एक जादू की तरह फैला देती है। अब, हर शब्द जो आप बोलते हैं, वह वातावरण को बदलने का सामर्थ्य रखता है।

“जिह्वा मधुमत्तमा।”
क्या होता अगर आपकी जिह्वा, यानी आपकी वाणी, हमेशा मधुर और दिल को छू लेने वाली होती? हर वचन जो आप बोलते हैं, वह अपने आसपास के लोगों को सुकून, प्रेम और सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है। और जब यह सुकून आपके घर, समाज और रिश्तों में फैलता है, तो क्या परिणाम होगा? चारों ओर खुशियाँ, शांति और संतुलन!

क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे शब्दों में इतनी ताकत हो सकती है? जैसे एक सॉफ्ट स्पीच और मुस्कान से हम किसी के दिल को छू सकते हैं, वैसे ही हमारी आत्मा भी हर शब्द से भर सकती है।

मन के साथ एक खेल
मन को कंट्रोल करना, वह है असली खेल। जैसे एक खिलाड़ी अपनी टीम को निर्देश देता है, वैसे ही हम अपने मन को अपनी आंतरिक शक्ति से निर्देशित कर सकते हैं। जब हम कहते हैं, “मेरा मन असीम शक्ति का भंडार है”, तो यह शब्द हमारे भीतर एक अदृश्य आर्मी की तरह काम करते हैं, जो हमें मानसिक बाधाओं को पार करने की ताकत देता है।

अब सोचिए, अगर आप खुद को यह याद दिलाते रहेंगे कि “मैं मन का स्वामी हूँ”, तो क्या होगा? आपका मन खुद को किसी भी नकारात्मक विचार से मुक्त कर पाएगा और आपके भीतर की शांति और समृद्धि को महसूस करेगा। यह आत्म-निर्देश आपको एक नया दृष्टिकोण देता है, और जीवन के प्रत्येक पहलू में सफलता की ओर अग्रसर करता है।

स्वयं को समझाइए—आपकी मानसिक शक्ति कोई साधारण बात नहीं है!
जब आप आत्म-निर्देश के साथ, जैसे “मैं अपने मन और इंद्रियों पर पूरा नियंत्रण रखता हूँ”, यह वाक्य न केवल आपके मनोबल को बढ़ाता है, बल्कि आपका ध्यान हर रोज़ सही मार्ग पर केंद्रित करता है। आप अपनी इच्छाओं और आदतों पर नियंत्रण पाकर मानसिक और आत्मिक रूप से मजबूत हो सकते हैं।

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Published by
DNTV इंडिया NEWS

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