सहरसा (DNTV रिपोर्ट): रहुआमणि वार्ड नंबर 04 निवासी पिंटू चौधरी और उनका परिवार बीते 35 दिनों से न्याय के लिए प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों के चक्कर काट रहा है, लेकिन अब तक न कोई सुनवाई हुई, न कोई ठोस कार्रवाई। हर दरवाज़े से सिर्फ निराशा मिली है।
पीड़ित पिंटू चौधरी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ जिलाधिकारी विभव चौधरी से मिलने उनके कार्यालय पहुँचे।
वे सुबह 11 बजे से शाम 4:30 बजे तक इंतज़ार करते रहे, लेकिन डीएम साहब ने मिलने की ज़रूरत तक नहीं समझी।
पिंटू चौधरी ने सुबह 9 बजे स्थानीय विधायक आलोक रंजन से संपर्क किया।
करीब 10 बजे मुलाकात हुई। पीड़ित ने उन्हें याद दिलाया कि 4 अप्रैल को उन्होंने थानाध्यक्ष से बात कर हस्तक्षेप किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
विधायक ने पहले नाराज़गी जताते हुए कहा:
“तुम मीडिया वालों से क्यों मिले?”
फिर बोले:
“जमीन तुम्हारी है तो खुद हटाओ अवैध कब्जा, प्रशासन थोड़ी हटाएगा!”
हालांकि जब DNTV मीडिया प्रभारी गौतम अनुभवि से बात हुई, तो विधायक का रवैया बदला और उन्होंने डीएसपी को फोन कर मामले की गंभीरता से जांच करने को कहा।
पीड़ित जब DSP कार्यालय पहुँचे, तो जवाब मिला – “डीएसपी साहब नहीं हैं, बाद में आइए।”
पिंटू चौधरी और उनकी पत्नी सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक वहीं बैठे रहे और अंततः निराश होकर लौटना पड़ा।
पीड़ित का आरोप है कि जब उन्होंने थाना प्रभारी से बात की, तो उन्हें डांट-फटकार और अपमानजनक शब्दों का सामना करना पड़ा।
थानाध्यक्ष ने कथित रूप से कहा:
“किसके कहने पर आये हो? तुम्हारे पास कितने सबूत हैं?”
पीड़ित पिंटू चौधरी ने DNTV से बातचीत में कहा:
“सर, पूरा सिस्टम खामोश है। थाने से धमकाकर भगा दिया गया। अब भी उम्मीद बस DNTV से है। अगर यहां से भी उम्मीद टूटी, तो आत्मदाह जैसे कदम उठाने को मजबूर हो जाऊंगा।”
DNTV की टीम जल्द सहरसा में जमीनी रिपोर्टिंग करेगी और इस मामले की सच्चाई को उजागर करेगी।
हम प्रशासन से मांग करते हैं कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।