मौनी अमावस्या हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ मास की अमावस्या को मनाई जाती है। इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य और मौन रहने का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है।
मौनी अमावस्या 2025 का शुभ मुहूर्त
मौनी अमावस्या 2025 का पर्व 29 जनवरी को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार इस दिन कुछ विशेष मुहूर्त अत्यंत शुभ माने गए हैं:
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05:25 से 06:18 तक
अमृत काल: प्रातः 09:19 से 10:51 तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:22 से 03:05 तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:55 से 06:22 तक
मौनी अमावस्या का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत धारण करने से आत्मशुद्धि होती है और मन को शांति मिलती है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, इस दिन पितृ दोष निवारण के लिए उपाय किए जाते हैं। माना जाता है कि इस दिन किए गए पुण्य कार्यों का फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन ब्रह्माजी ने पहली बार ‘ओंकार’ ध्वनि का उच्चारण किया था। इसके प्रभाव से संपूर्ण सृष्टि में ऊर्जा प्रवाहित हुई। इसके अलावा, महाभारत काल में भीष्म पितामह ने इसी दिन अपने शरीर का त्याग किया था।
मौनी अमावस्या पर करने योग्य कार्य
गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, तिल और चावल का दान करें।
गाय, कुत्ते और कौवे को भोजन खिलाएं, इससे पितर प्रसन्न होते हैं।
घर के बाहर दक्षिण दिशा में तेल का दीपक जलाएं।
पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
विशेष उपाय और टोटके
इस दिन गरीबों को काले तिल, गुड़ और उड़द दान करने से शनि दोष शांत होता है।
व्यापार में वृद्धि के लिए तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें गुड़ डालें और सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
आर्थिक समृद्धि के लिए इस दिन काले तिल का हवन करें।
अगर परिवार में कोई अशांति है तो शिवलिंग पर दूध, शहद और जल अर्पित करें।
मौनी अमावस्या पर क्या न करें?
मांस, मछली और शराब का सेवन न करें।
पूर्वजों या किसी भी व्यक्ति के प्रति अपशब्द न बोलें।
इस दिन किसी भी पशु-पक्षी को कष्ट न दें।
घर और आसपास सफाई का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि गंदगी नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है।
मौनी अमावस्या पर विशेष मंत्र
इस दिन निम्नलिखित मंत्रों का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है:
- पितृ शांति मंत्र: “ॐ पितृभ्यः स्वधायिभ्यः स्वाहा”
- गंगा स्नान मंत्र: “ॐ नमो भगवते गंगे माता नमः”
- दान पुण्य के लिए: “ॐ दानाय नमः”
निष्कर्ष
मौनी अमावस्या का दिन आध्यात्मिक उन्नति और पुण्य अर्जित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन किए गए स्नान, दान और मंत्र जप से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। यह दिन न केवल पितरों को प्रसन्न करने का होता है बल्कि स्वयं की आंतरिक शुद्धि और शांति प्राप्त करने का भी अवसर देता है।