बिहार सरकार ने राज्य के सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और विद्यार्थियों को आधुनिक सुविधाएँ प्रदान करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। हाल ही में लागू किए गए सुधारों में स्मार्ट क्लासरूम, विद्यालयों की रैंकिंग प्रणाली, डिजिटल उपस्थिति प्रणाली, विद्यालय भवनों की मरम्मत और नए समय-सारणी शामिल हैं।
विद्यालयों की रैंकिंग प्रणाली लागू
बिहार सरकार ने सभी 81,000 सरकारी विद्यालयों की रैंकिंग की प्रक्रिया शुरू की है। इस रैंकिंग प्रणाली के तहत विद्यालयों को उनके शिक्षण, अधिगम, संसाधनों के उपयोग, सफाई व्यवस्था, सह-शैक्षिक गतिविधियों और शिकायत निवारण के आधार पर ग्रेड दिए जा रहे हैं। विद्यालयों को ए प्लस (फाइव स्टार) से लेकर डी ग्रेड (वन स्टार) तक श्रेणियों में रखा जाएगा। इस कदम का उद्देश्य विद्यालयों के प्रदर्शन में पारदर्शिता लाना और उनमें प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है।
स्मार्ट क्लासरूम की स्थापना
तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार ने 2,379 माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में स्मार्ट क्लासरूम स्थापित किए हैं। इन स्मार्ट क्लासों में कंप्यूटर, प्रोजेक्टर और इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जिससे विद्यार्थी आधुनिक शिक्षण पद्धति के जरिए पढ़ाई कर सकेंगे। यह कदम विद्यार्थियों के डिजिटल साक्षरता में सुधार लाने और पढ़ाई को अधिक रोचक बनाने के लिए उठाया गया है।
स्कूलों के समय में बदलाव
सरकारी स्कूलों के समय में बदलाव करते हुए 1 दिसंबर 2024 से नया शेड्यूल लागू किया गया है। अब स्कूल सुबह 9:30 बजे से शाम 4:00 बजे तक संचालित होंगे। सुबह 9:30 से 10:00 बजे तक प्रार्थना सभा के दौरान विद्यार्थियों की पोशाक, बाल और नाखूनों की जांच होगी। इसके बाद नियमित कक्षाएँ संचालित होंगी। इससे विद्यार्थियों में अनुशासन और स्वच्छता की आदत विकसित करने में मदद मिलेगी।
विद्यालय भवनों का नवीनीकरण और मरम्मत कार्य
विद्यालय भवनों की स्थिति सुधारने के लिए सरकार ने प्राथमिक और मध्य विद्यालयों को गुलाबी रंग और उच्च विद्यालयों को ग्रे रंग से रंगने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, शौचालय, पीने के पानी की सुविधा, रसोईघर, फर्नीचर, बिजलीकरण, और चहारदीवारी जैसी बुनियादी सुविधाओं के सुधार और निर्माण पर भी ध्यान दिया जा रहा है। इससे स्कूलों का माहौल अधिक सुव्यवस्थित और विद्यार्थियों के लिए अनुकूल बनाया जाएगा।
डिजिटल उपस्थिति प्रणाली लागू
फर्जी उपस्थिति पर रोक लगाने और विद्यार्थियों की उपस्थिति को पारदर्शी बनाने के लिए 1 जनवरी 2025 से डिजिटल उपस्थिति प्रणाली लागू की जाएगी। इस नई प्रणाली में ऑटोमेटिक फेस रीडिंग सॉफ्टवेयर के माध्यम से विद्यार्थियों की उपस्थिति दर्ज की जाएगी। इससे विद्यालय प्रशासन और अभिभावकों को सही जानकारी मिल सकेगी और छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
सरकार का उद्देश्य और संभावित प्रभाव
बिहार सरकार के इन सुधारों का उद्देश्य राज्य के सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना और विद्यार्थियों को एक बेहतर और आधुनिक शैक्षिक माहौल प्रदान करना है। स्मार्ट क्लासरूम और डिजिटल उपस्थिति जैसे कदम स्कूलों की गुणवत्ता को नई ऊँचाई तक ले जाने में सहायक होंगे। विद्यालयों की रैंकिंग प्रणाली से स्कूलों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे वे अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित होंगे।
इन बदलावों से न केवल शिक्षकों और छात्रों को लाभ मिलेगा बल्कि बिहार की सरकारी शिक्षा प्रणाली को भी मजबूती मिलेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन सुधारों का असर वास्तविक रूप से विद्यार्थियों और शिक्षकों के अनुभव पर कितना पड़ता है।