आज महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर मैं भगवान शिव के दर्शन करके लौटा हूँ। मंदिर का वातावरण श्रद्धालुओं की भक्ति, उत्साह और शिव कृपा की अपेक्षा से भरा हुआ था। वहाँ जाने का अनुभव ऐसा था, मानो सभी भक्त एक ही दिशा में बढ़ रहे हों—शिव की ओर। हर ओर जयकारे, भजन, और शिव तांडव की धुन गूंज रही थी। श्रद्धालु अपने हाथों में लुटिया, जल और भगवान को अर्पित करने योग्य प्रसाद लिए हुए थे। इस नज़ारे ने मुझे एक अलग ही दुनिया में पहुँचा दिया।
मंदिर में मैं महज कुछ ही मिनटों के लिए था, लेकिन वहाँ जो करना था, मैंने पूरा किया। मैंने शिवलिंग पर जल अर्पित किया, सभी पवित्र प्रतीकों को प्रणाम किया, और अपनी समर्पित भावनाओं के साथ भगवान शिव को नमन किया। लेकिन जब मैं वहाँ था, तो मेरा ध्यान किसी अन्य चीज़ पर नहीं गया—केवल शिव पर केंद्रित रहा। और फिर भी, मुझे ऐसा लगा जैसे मैं किसी अनजानी खोज में हूँ, किसी ऐसे उत्तर की तलाश कर रहा हूँ जो अभी अधूरा है। यह केवल आज की अनुभूति नहीं थी, बल्कि हर बार जब मैं पूजा में लीन होता हूँ, तब यह भावना जाग उठती है।
यह सिर्फ मंदिर की यात्रा नहीं थी, बल्कि यह आध्यात्मिक खोज थी। एक ऐसी खोज, जो खत्म होने का नाम ही नहीं लेती। मैं घूमता रहता हूँ, नए स्थानों पर जाता हूँ, नए अनुभवों को आत्मसात करता हूँ, लेकिन फिर भी ऐसा महसूस करता हूँ कि मैं कुछ तलाश रहा हूँ—कुछ जो मेरे भीतर ही कहीं छिपा हुआ है।
क्या यह शिव की खोज है? या स्वयं की? जब मैं दूसरों को देखता हूँ, उनके हावभाव और श्रद्धा को महसूस करता हूँ, तो मैं विश्लेषण करता हूँ कि क्या मैं भी उसी मार्ग पर हूँ, या मेरा मार्ग कुछ अलग है? यह प्रश्न हर बार नया लगता है, और उत्तर अभी भी अधूरा है।
महाशिवरात्रि पर देशभर में भक्ति का माहौल
महाशिवरात्रि के अवसर पर देशभर के मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। मंदिरों में विशेष आरती, भजन-कीर्तन और रात्रि जागरण का आयोजन किया गया। प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए, ताकि भक्तगण बिना किसी बाधा के भगवान शिव के दर्शन कर सकें। कई प्रमुख मंदिरों में लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने पहुंचे।
महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व
महाशिवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पावन विवाह का प्रतीक माना जाता है। इस दिन व्रत रखने, रात्रि जागरण करने और शिवलिंग पर जल व बेलपत्र चढ़ाने का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि इस दिन की गई पूजा से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
निष्कर्ष
आज महाशिवरात्रि के इस व्रत के दौरान, मन और भी भावुक हो उठा है। शरीर उपवास कर रहा है, लेकिन आत्मा किसी और ही यात्रा पर है। जब मैंने इन विचारों को साझा किया, तो जैसे मेरी अव्यक्त भावनाएँ शब्दों में ढल गईं। यह एक असामान्य अनुभव था, जहाँ शब्द नहीं, बल्कि भावनाएँ बोल रही थीं।
शायद यही शिवत्व है—एक खोज, जो अंततः हमें खुद तक ले जाती है।
ॐ नमः शिवाय। हर हर महादेव!