DNTV India | प्रेरक कहानी
बहुत समय पहले एक गाँव में एक महात्मा रहते थे। दूर-दूर से लोग अपनी परेशानियाँ लेकर उनके पास आते थे और संतजन उनकी समस्याओं का समाधान कर उन्हें सही मार्ग दिखाते थे।
एक दिन एक व्यक्ति ने महात्मा से प्रश्न किया — “गुरुवर, संसार में खुश रहने का रहस्य क्या है?”
महात्मा ने मुस्कुराकर कहा — “चलो, मैं तुम्हें इसका उत्तर दिखाता हूँ।”
दोनों जंगल की ओर निकल पड़े। रास्ते में महात्मा ने एक बड़ा पत्थर उठाकर उस व्यक्ति को दिया और बोले, “इसे पकड़कर चलो।”
वह व्यक्ति पत्थर लेकर चलने लगा। कुछ देर बाद उसके हाथ में दर्द होने लगा, पर वह चुपचाप चलता रहा। जब दर्द असहनीय हो गया, तो उसने कहा — “गुरुवर, हाथों में बहुत दर्द हो रहा है।”
महात्मा बोले — “पत्थर नीचे रख दो।”
पत्थर रखते ही व्यक्ति ने राहत की सांस ली। महात्मा ने पूछा, “अब कैसा महसूस हो रहा है?”
वह बोला — “बहुत हल्का और प्रसन्न महसूस हो रहा है।”
तब महात्मा ने समझाया —
“यही है खुश रहने का रहस्य! जैसे यह पत्थर हाथ में रखने पर दर्द देता गया, वैसे ही जीवन के दुखों को मन में उठाए रखना भी पीड़ा देता है। जितनी देर तक हम अपने दुःखों को थामे रहते हैं, उतनी देर तक हम उनसे मुक्त नहीं हो पाते। यदि हम उन्हें जल्दी छोड़ दें, तो जीवन स्वतः हल्का और सुखमय हो जाता है।”
इस कथा का संदेश स्पष्ट है —
अगर हम अपने ‘दुःख रूपी पत्थर’ को हमेशा थामे रखेंगे, तो हमारा ध्यान जीवन के लक्ष्यों से हटकर केवल दुखों पर केंद्रित हो जाएगा। लेकिन यदि हम उन दुखों को नीचे रख देना सीख जाएँ, तो मन स्वतंत्र हो जाएगा और जीवन में सच्ची खुशी का अनुभव होगा।
सीख:
दुखों को दिल से निकाल फेंकिए, तनाव को त्यागिए और जीवन की सकारात्मक दिशा में आगे बढ़िए। यही है खुश रहने का सच्चा रहस्य।
जय श्री राधे

