नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दी गई जमानत के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर सुनवाई के लिए 21 मार्च की तारीख तय की है। न्यायमूर्ति विकास महाजन ने ईडी के वकील के अनुरोध पर शुक्रवार की सुनवाई स्थगित कर दी।
केजरीवाल का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील ने स्थगन के अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि ईडी ने पिछले कई महीनों में बार-बार तारीखें ली हैं। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि मामले की जल्द सुनवाई की जाए और केजरीवाल को जमानत दी जाए। वकील ने तर्क दिया कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अन्य 15 आरोपियों को जमानत दी जा चुकी है, तो केजरीवाल की याचिका लंबित क्यों रखी जा रही है। उन्होंने कहा, “चुनाव निकट हैं। ऐसे में उनके ऊपर यह तलवार क्यों लटकी रहनी चाहिए?”

इस पर ईडी के वकील ने कहा कि स्थगन से केजरीवाल को कोई पूर्वाग्रह नहीं हुआ है क्योंकि वह पहले से ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम जमानत पर हैं। न्यायमूर्ति महाजन ने कहा, “मैं इसे सुनवाई के लिए निर्धारित करूंगा। उन्हें कोई पूर्वाग्रह नहीं हुआ है। 21 मार्च को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करें।”
गौरतलब है कि 12 जुलाई, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तारी की आवश्यकता और अनिवार्यता के पहलू पर तीन सवालों को बड़ी पीठ को संदर्भित किया था।
इसके पहले, 20 जून, 2024 को ट्रायल कोर्ट ने केजरीवाल को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी थी, जिसे ईडी की याचिका पर उच्च न्यायालय ने रोक दिया था।
पूर्व मुख्यमंत्री को ईडी और सीबीआई ने क्रमशः 21 मार्च और 26 जून, 2024 को मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामलों में गिरफ्तार किया था।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा 2022 में आबकारी नीति 2021 में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की जांच के आदेश देने के बाद नीति को रद्द कर दिया गया था। सीबीआई और ईडी का आरोप है कि नीति संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया।