प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्मों में स्वतंत्र है
हर व्यक्ति अपने विचार, संस्कार, बुद्धि और परिस्थितियों के अनुसार कर्म करता है। लेकिन ईश्वर की न्याय व्यवस्था अचूक है—जो जैसा कर्म करेगा, उसे वैसा ही फल मिलेगा।
ईश्वर की न्याय व्यवस्था
ईश्वर सबके कर्मों पर नज़र रखता है और उचित समय पर उचित फल देता है—न अधिक, न कम। कुछ विशेष अधिकार भी उसने मनुष्यों को सौंपे हैं, जैसे:
माता-पिता अपने बच्चों को उनके कर्मों के अनुसार सिखाते हैं।
शिक्षक विद्यार्थियों को उनके ज्ञान और प्रयास के अनुसार परिणाम देते हैं।
न्यायालय, पंचायत और संस्थानों के अधिकारी कर्मों के अनुसार दंड और पुरस्कार देते हैं।
अगर किसी कर्म का फल इन माध्यमों से नहीं मिलता, तो ईश्वर उसे अपने नियत समय पर प्रदान करता है—इस जन्म में या अगले जन्म में।
भविष्य जानने की जिज्ञासा
आजकल बहुत से लोग भविष्य जानने के लिए ज्योतिषियों और भविष्यवक्ताओं के पीछे दौड़ते हैं। लेकिन सच यह है कि आपका भविष्य आपके अपने कर्मों में छिपा है।
यदि आप अच्छे कर्म करेंगे, तो भविष्य उज्ज्वल होगा।
यदि आप बुरे कर्म करेंगे, तो भविष्य अंधकारमय होगा।
आपका भविष्य आप स्वयं तय करते हैं, कोई और नहीं।
अपने कर्म सुधारें, भविष्य संवारें
यदि आप चाहते हैं कि आपका भविष्य अच्छा हो, तो आपको अपने कर्मों पर ध्यान देना होगा।
✔ सच्चाई, ईमानदारी, और परोपकार के मार्ग पर चलें।
✔ बुरे कर्मों से बचें और धर्म, न्याय व सद्गुण अपनाएँ।
✔ अपने विचारों और कार्यों को शुद्ध करें।
निष्कर्ष
ईश्वर की न्याय व्यवस्था सटीक और अटल है। कर्म के बिना भाग्य नहीं बनता। इसलिए भविष्य जानने के बजाय, अपने कर्मों को सुधारने पर ध्यान दें। कर्म ही जीवन का असली आधार है।