तेहरान/तेल अवीव, — पश्चिम एशिया में लंबे समय से चल रहे ईरान-इज़राइल तनाव के बीच आखिरकार 23 जून की शाम एक संघर्षविराम (सीज़फायर) लागू कर दिया गया। यह समझौता अमेरिका और कतर की मध्यस्थता से संभव हुआ, लेकिन संघर्षविराम के शुरुआती घंटों में ही कई उल्लंघन सामने आए हैं, जिससे हालात अब भी बेहद संवेदनशील बने हुए हैं।
बीते सप्ताह का युद्ध – जानिए क्या-क्या हुआ 13 जून को इज़राइल ने “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के तहत ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर जोरदार हवाई हमले किए, जिसमें नतांज जैसी महत्वपूर्ण परमाणु साइट शामिल थी।
जवाब में ईरान ने करीब 400 बैलिस्टिक मिसाइलें और 1,000 ड्रोन इज़राइल की ओर दागे, जिनमें से अधिकांश को इज़राइली रक्षा प्रणाली ने नष्ट कर दिया। हालांकि, कुछ हमले अस्पतालों और नागरिक क्षेत्रों में भी गिरे।
ईरान में लगभग 639 लोगों की मौत और इज़राइल में 24 नागरिकों की जान गई, जबकि सैकड़ों घायल हुए हैं।
संघर्षविराम – अमेरिका की पहल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहल पर यह संघर्षविराम लागू किया गया, जिसमें उन्होंने इज़राइल और ईरान दोनों से शांति बनाए रखने की अपील की।
हालांकि संघर्षविराम के चंद घंटों बाद ही इज़राइल द्वारा हवाई हमले और ईरान द्वारा जवाबी मिसाइल दागने की खबरें आईं, जिससे ट्रंप ने दोनों देशों पर नाराज़गी जताई।
भारत और विश्व पर प्रभाव भारत ने इस संकट के बीच “ऑपरेशन सिंधु” चलाकर ईरान में फंसे 110 भारतीयों को सुरक्षित बाहर निकाला।
तेल के दामों में उछाल और समुद्री व्यापार पर असर के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी (IAEA) ने दोनों देशों से संयम बरतने और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करने की अपील की है।
आगे क्या? संघर्षविराम फिलहाल लागू है, लेकिन विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यह अस्थायी हो सकता है। यदि कोई बड़ा उकसावा हुआ तो युद्ध दोबारा भड़क सकता है। इज़राइल की सैन्य तैयारियां जारी हैं और ईरान भी पीछे हटने के मूड में नहीं दिख रहा।
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