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दिल्ली में औद्योगिक विकास को नई गति, लेकिन चुनौतियाँ बरकरार

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में औद्योगिक विकास को नई दिशा देने के लिए सरकार कई बड़े कदम उठा रही है। नई औद्योगिक परियोजनाओं और नीतियों के जरिए रोजगार सृजन के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन प्रदूषण और औद्योगिक संरचना से जुड़ी कुछ चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं।

नई औद्योगिक परियोजनाएँ और निवेश
दिल्ली सरकार ने कंझावला में 920 एकड़ भूमि पर एक नए औद्योगिक क्षेत्र की योजना बनाई है, जिससे अनुमानित 10 लाख लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा, रानी खेड़ा में 147 एकड़ भूमि पर एक आधुनिक औद्योगिक केंद्र विकसित किया जा रहा है, जो पूरी तरह से पर्यावरण-अनुकूल होगा और सेवा क्षेत्र को बढ़ावा देगा।

सरकार ने हाल ही में “औद्योगिक और आर्थिक विकास नीति 2023-33” का प्रस्ताव रखा है, जिसका उद्देश्य दिल्ली को एक ‘24×7 सक्रिय’ औद्योगिक हब में बदलना है। यह नीति ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था और उच्च तकनीकी उद्योगों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।

प्रदूषण और गैर-स्वीकृत औद्योगिक क्षेत्रों की चुनौती
दिल्ली में औद्योगिक विकास के साथ-साथ प्रदूषण पर नियंत्रण भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। हाल ही में सरकार ने औद्योगिक प्रदूषण को कम करने के लिए एक महीने का विशेष अभियान चलाया, जिसमें विभिन्न टीमों ने औद्योगिक इकाइयों का निरीक्षण किया।

इसके अलावा, 26 गैर-स्वीकृत औद्योगिक क्षेत्रों के पुनर्विकास की योजना पर भी काम हो रहा है। सरकार ने इन क्षेत्रों को आधिकारिक मान्यता देने के लिए 90% लागत खुद वहन करने का निर्णय लिया है, जिससे 6 लाख नए रोजगार सृजित होने की उम्मीद है।

औद्योगिक उत्पादन में गिरावट
हालांकि, औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर में गिरावट देखी गई है। अक्टूबर 2024 में, खनन, बिजली और विनिर्माण क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन के कारण औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर घटकर 3.5% रह गई, जो पिछले वर्ष इसी महीने में 11.9% थी।

निष्कर्ष
दिल्ली सरकार की नई औद्योगिक पहलें भविष्य में रोजगार और आर्थिक विकास को गति दे सकती हैं, लेकिन औद्योगिक प्रदूषण, गैर-स्वीकृत इकाइयों की समस्या और उत्पादन वृद्धि की धीमी रफ्तार अभी भी अहम मुद्दे बने हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार अपनी नई औद्योगिक नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करती है, तो दिल्ली आने वाले वर्षों में एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र बन सकती है।