Historic step to declare environment as a fundamental right
नई दिल्ली: हाल ही में, भारत और दुनिया भर में पर्यावरण को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता देने का अहम कदम उठाया गया है। इस दिशा में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय लिया कि प्रत्येक नागरिक को प्रदूषण मुक्त और स्वच्छ वातावरण में रहने का अधिकार है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनका मौलिक अधिकार माना जाएगा।
इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र महासभा और मानवाधिकार परिषद ने भी “स्वच्छ, स्वस्थ और टिकाऊ पर्यावरण” को मानवाधिकार के रूप में स्वीकार किया था। संयुक्त राष्ट्र ने इसे एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए पर्यावरण की रक्षा को वैश्विक स्तर पर अनिवार्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी।
भारत में, पर्यावरण के संरक्षण और प्रदूषण से बचाव के लिए सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय को काफी अहम माना जा रहा है। यह निर्णय न केवल कानून की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरण के प्रति जनजागरूकता बढ़ाने के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बनेगा।
सरकारों और नागरिकों से अपेक्षाएँ हैं कि वे पर्यावरण की सुरक्षा के लिए और भी कदम उठाएंगे और हर व्यक्ति को एक स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होंगे।
यह निर्णय पर्यावरण की रक्षा को केवल कानूनी नहीं, बल्कि मौलिक अधिकार के रूप में स्वीकार करते हुए एक मजबूत कदम है।