आरा/भोजपुर | बिहार के मुख्यमंत्री के आगमन के साथ-साथ आरा शहर में प्रशासनिक व्यवस्थाओं को लेकर कई गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं। जहां एक ओर मुख्यमंत्री के आगमन के कारण शहर भर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, वहीं दूसरी ओर यह सुरक्षा व्यवस्था आम नागरिकों के लिए परेशानी का कारण बन रही है।
विशेष रूप से रमना मैदान और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर बांस-बेरिकेड्स लगाकर रास्तों को अवरुद्ध किया गया है, जिससे बुजुर्ग महिलाएं और अन्य नागरिकों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। इससे संबंधित एक पत्र भी नागरिकों द्वारा मुख्यमंत्री के नाम भेजा गया है, जिसमें प्रशासन से अनुरोध किया गया है कि यह व्यवस्था जनहित में सुधारें और लोगों को असुविधा से बचाया जाए।
इस पत्र को लिखने वाले अधिवक्ता प्रमोद कुमार राय ने विशेष रूप से प्रशासन की व्यवस्था पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी की है। उन्होंने लिखा, “मुख्यमंत्री जी, आप बिहार की जनता के सेवक हैं, लेकिन आपकी यात्रा की तैयारियों को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो आप राजा के रूप में आ रहे हैं, न कि जनता के प्रतिनिधि और सेवक के रूप में।” इस चुटीले और आलोचनात्मक अंदाज में उन्होंने प्रशासन की ओर से किए गए असुविधाजनक प्रयासों को उजागर किया और यह भी बताया कि जनसेवक की भूमिका में होने के बावजूद लोग असुविधा और कठिनाई का सामना कर रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर, भोजपुर समाहरणालय, आरा की अधूरी चाहरदीवारी भी सुरक्षा के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। हालांकि समाहरणालय के मुख्य द्वार को रंग-रोगन से सजाया गया है, लेकिन जिलाधिकारी कार्यालय के किचन के पास की दीवार अब तक अधूरी है। इसे लेकर प्रमोद कुमार राय ने मुख्यमंत्री से व्यंग्यात्मक अंदाज में कहा है, “जब खुद जिलाधिकारी का कार्यालय ही असुरक्षित रहेगा, तो आम नागरिकों की सुरक्षा की क्या स्थिति होगी, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।” इस टिप्पणी के माध्यम से उन्होंने प्रशासन की निष्क्रियता पर सीधा प्रहार किया है।
आशा है कि मुख्यमंत्री इस पर जल्द संज्ञान लेंगे और इन समस्याओं का समाधान निकाले जाएंगे, ताकि आम जनता को परेशानियों से छुटकारा मिल सके और प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभा सके।