DNTV India News Hindi News, हिंदी न्यूज़ , Today Hindi Breaking, Latest Hindi news..

Special Forces

ब्रिटिश विशेष बलों की अफ़गानिस्तान में कार्रवाई: न्यायेतर हत्याओं और गुप्त गतिविधियों का खुलासा”।

नई दिल्ली: अफ़गानिस्तान में ब्रिटिश विशेष बलों (SAS) की कार्रवाइयों की जांच में न्यायेतर हत्याओं और युद्ध के दौरान गैरकानूनी गतिविधियों को छुपाने के प्रयासों का खुलासा हुआ है। 2010 से 2013 के बीच SAS की इकाइयों पर गंभीर आरोप लगे हैं, जिनमें निहत्थे अफ़गानों की हत्या और साक्ष्यों से छेड़छाड़ शामिल है।

जांच के मुख्य बिंदु

युद्ध अपराधों का आरोप

ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय (MoD) द्वारा 2022 में शुरू की गई जांच में, विशेष रूप से रात के समय की छापेमारी के दौरान किए गए कथित युद्ध अपराधों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

  • गवाहों की गवाही और दस्तावेज़ों से पता चला कि निहत्थे व्यक्तियों को मारा गया। इनमें कई ऐसे लोग शामिल थे, जो किसी भी खतरे का हिस्सा नहीं थे।
  • एक गवाह ने बताया कि कुछ अभियानों में “लड़ाकू आयु के सभी पुरुषों” को मारा गया, भले ही वे निहत्थे हों।
  • कुछ पीड़ितों की उम्र 16 साल से भी कम थी।

साक्ष्यों में छेड़छाड़

  • रिपोर्ट्स के मुताबिक, मारे गए व्यक्तियों के पास हथियार रखकर झूठे सबूत तैयार किए गए।
  • तस्वीरों को इस तरह बनाया गया कि वे सशस्त्र दिखें।
  • SAS के एक सैनिक ने बताया कि उसे सिखाया गया कि हत्या को वैध कैसे दिखाना है।

नेतृत्व की विफलता

  • जांच में गवाही दी गई कि SAS इकाइयों की कार्रवाइयों पर सवाल उठाने को हतोत्साहित किया गया।
  • 2011 तक, कुछ अधिकारियों ने यह मान लिया था कि SAS इकाइयाँ न्यायेतर हत्याएँ कर रही हैं, लेकिन उन्होंने इसे वरिष्ठ नेतृत्व तक नहीं पहुँचाया। इसे “नेतृत्व की भारी विफलता” माना गया।

गुप्त संस्कृति और दंड से छूट

SAS इकाइयों के आचरण पर सवाल उठाने की प्रक्रिया को दबा दिया गया।

  • एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि SAS को “निंदा से परे” माना जाता था।
  • इस रवैये ने इकाइयों को लगभग पूरी तरह से दंड से मुक्त रखा।

एक अन्य अधिकारी ने SAS और “हत्या” को “नियमित साथी” बताया।

राजनीतिक प्रभाव और अंतरराष्ट्रीय तुलना

इन आरोपों की तुलना अफ़गान संघर्ष के दौरान अमेरिकी विशेष बलों के कदाचार के आरोपों से की जा रही है।

  • ब्रिटिश सैन्य पुलिस ने पहले भी SAS पर युद्ध अपराधों की जांच की थी, लेकिन “पर्याप्त सबूत” न होने का हवाला देते हुए कार्रवाई नहीं की।
  • रक्षा मंत्रालय ने इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं की है और जांच के परिणाम की प्रतीक्षा करने की बात कही है।

क्या होगा आगे?

  • ब्रिटिश विशेष बलों की कार्यप्रणाली पर स्वतंत्र निगरानी की माँग बढ़ सकती है।
  • इन खुलासों से ब्रिटेन की वैश्विक छवि और अफ़गानिस्तान में उसकी भूमिका पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
  • SAS की गुप्त गतिविधियों और पारदर्शिता की कमी पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने की संभावना है।

यह मामला सिर्फ़ युद्ध के दौरान हुई घटनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ब्रिटिश सेना की संस्थागत संरचना और उसकी नैतिक जिम्मेदारियों पर गहरी चोट करता है।