गिरफ्तारी के बाद समाज कल्याण विभाग द्वारा उन्हें निलंबित कर दिया गया था। 31/07/2019 तक वे काराधीन रहीं। कानूनी प्रक्रिया पूरी होने तक लगभग 15 दिनों का समय लगा। जिसके बाद उन्हें 14/08/2019 को जमानत मिल गई। जमानत पर छूटने के बाद 16/08/2019 को जिला पदाधिकारी के समक्ष उन्होंने योगदान किया। निलंबन के बाद उनका योगदान जायज भी है। क्योंकि बिहार सरकार सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली 2005 के 09 (3) (i) के अनुसार सरकारी सेवक के कारावास अवधि समाप्ति के बाद निलंबन मुक्त मानकर योगदान किया जाना है।
लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि सुनैना पदस्थापित तो हैं पर महीनों बीतने के बाद उनके विभाग द्वारा आज तक उन्हें प्रभार नहीं सौंपा गया। जिसके लिए खुद उन्हें जिले के तमाम कार्यालयों का चक्कर भी काटना पड़ रहा है। हालांकि उनके द्वारा जिले के संबंधित पदाधिकारियों व जिला पदाधिकारी को बिहार सरकार की नियमावली संलग्न करते हुए लिखित आवेदन देकर न्याय की मांग की गई है।
DNtv.
दैनिक न्यूज़ टेलीविज़न,
रिपोर्ट:- नीरज कुमार सिंह
गोपालगंज (बिहार)
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