बिहार ऐसी निकम्मी नाकारा सरकार से अभिशप्त है जिसे अपनी ज़िम्मेदारियों का बोध ही नहीं है।कोरोना काल के शुरूआती दौर से ही मैंने अस्पतालों की क्षमता बढ़ाने, सुविधाओं को सुदृढ़ करने व नए अस्पताल बनाने का सुझाव दिया। मैंने कहा था कोरोना की लड़ाई मैराथन है, पुख़्ता तैयारी करनी होगी। लेकिन चोर दरवाज़े से मनोनीत होने वाली सरकार कहाँ जनहित में सकारात्मक सुझाव मानेगी?
बिहार में एक साल पहले भी मरीज़ अस्पताल में दवा, बेड, ऑक्सिजन, टेस्ट और इलाज़ के लिए दर-बदर धक्के खा रहे थे और आज भी स्थिति यथावत है। लोक स्वास्थ्य/जन कल्याण नीतीश सरकार की प्राथमिकताओं में आज तक नहीं रहा वरना स्वास्थ्य क्षेत्र में नीति आयोग के सूचकांकों में बिहार सबसे नीचे नहीं रहता? सरकार के पास इसका कोई जवाब भी नहीं।
नीतीश जी येन केन प्रकारेण सत्ता में क़ाबिज हो कुंभकर्णी नींद सो जाते है। भाजपाई स्वास्थ्य मंत्री पॉलिटिकल टूरिज्म में व्यस्त है जो कभी-कभार आराम फ़रमाने बिहार आते है।
जनता भगवान भरोसे जीवन-मरण से संघर्षरत है। मुख्यमंत्री जी की नाक नीचे कोरोना के नाम पर बिहार में हज़ारों करोड़ की लूट हुई है।