Modi government is anti-farmer! - Sudama Prasad
आरा/भोजपुर | भाकपा (माले) के जिला कार्यालय, आरा में आज अखिल भारतीय किसान महासभा की जिला कमिटी की बैठक संपन्न हुई। बैठक में किसानों की समस्याओं और उनकी मांगों को लेकर विस्तृत चर्चा की गई। बैठक के मुख्य बिंदु थे:
बैठक में जिला अध्यक्ष और सांसद सुदामा प्रसाद ने सोन नहर प्रणाली की दयनीय स्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा,
“कभी बिहार के आठ जिलों और 60 प्रखंडों की 7 लाख एकड़ भूमि को सिंचाई सुविधा प्रदान करने वाली सोन नहर प्रणाली अब मात्र 2 लाख एकड़ तक सीमित हो गई है। इसकी एक वजह है इंद्रपुरी जलाशय का अभाव और सरकार की अनदेखी।”
उन्होंने आरोप लगाया कि नहर के पानी का एक बड़ा हिस्सा अब नबीनगर थर्मल पावर प्लांट के लिए आवंटित किया जा रहा है, जबकि किसानों के लिए सिंचाई के पानी की कमी है।
सुदामा प्रसाद ने कहा,
“प्रधानमंत्री और अन्य जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देने के बावजूद, सोन नहर प्रणाली और सोन नदी को बचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। यह क्षेत्र, जिसे कभी बिहार का ‘धान का कटोरा’ कहा जाता था, अब सूखे की चपेट में है।”
जिला सचिव चन्द्रदीप सिंह ने बैठक में कहा,
“आज किसान अपने इतिहास के सबसे गहरे संकट से गुजर रहे हैं। सरकार किसानों की खेती को घाटे का व्यवसाय बना रही है और कानूनों के माध्यम से इसे कॉरपोरेट के हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है।”
उन्होंने बताया कि किसान आज यूरिया जैसी आवश्यक सामग्री 267 रुपये के बजाय 350 रुपये में खरीदने को मजबूर हैं। नहरों में पानी की कमी के कारण रबी फसलें चौपट हो रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार किसानों की इन समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है।
बैठक में निर्णय लिया गया कि सोन नहर पक्कीकरण और कदवन जलाशय निर्माण की मांग को लेकर 17 जनवरी को सोन कमांड क्षेत्र के सिंचाई कार्यालयों पर किसानों का महाजुटान और धरना आयोजित किया जाएगा।
बैठक में किसान महासभा के प्रमुख नेता—राजू यादव, राम किशोर राय, बिनोद कुशवाहा, उदय आनंद सिंह, शिवमंगल सिंह, अभय सिंह, भोला यादव, दुदुन सिंह, प्रमोद सिंह, राम बाबू यादव, हरेराम सिंह, शिवनारायण साह, ददन सिंह, मुकेश कुमार सिंह, अश्विन कुमार, सुरेश सिंह, और विनोदकुमार सिंह—शामिल हुए।
बैठक में यह निष्कर्ष निकला कि किसानों के मुद्दों को हल करने के लिए आंदोलन को तेज करना होगा। सोन नहर प्रणाली और सोन नदी को बचाने के साथ-साथ एमएसपी की कानूनी गारंटी, कर्ज मुक्ति, और सिंचाई सुविधाओं में सुधार जैसे मुद्दों पर व्यापक जनआंदोलन की आवश्यकता है।