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भारत की GDP में गिरावट के संकेत: अमेरिका के टैरिफ, घरेलू मांग में कमी और नीतिगत बदलाव जिम्मेदार


नई दिल्ली। वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत की आर्थिक विकास दर यानी GDP ग्रोथ रेट में गिरावट दर्ज की जा रही है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने अनुमान जताया है कि चालू वित्त वर्ष में वास्तविक GDP वृद्धि दर 6.4% रहेगी, जबकि पिछले वर्ष यह 8.2% थी। इसके पीछे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों कारण अहम भूमिका निभा रहे हैं।

क्या बदला और कब हुआ?

  • जनवरी 2025 में NSO ने GDP का संशोधित अनुमान जारी किया।
  • अप्रैल 2025 में Moody’s Analytics ने भारत की 2025 की GDP ग्रोथ दर को 30 बेसिस पॉइंट घटाकर 6.1% कर दिया।
  • RBI (भारतीय रिज़र्व बैंक) ने अप्रैल 2025 में रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर इसे 6.00% कर दिया और मौद्रिक रुख को “तटस्थ” से बदलकर “उदारवादी (Accommodative)” कर दिया।

GDP में गिरावट के मुख्य कारण:

  1. अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर टैरिफ (शुल्क) लगाने के कारण भारत के प्रमुख निर्यात सेक्टर प्रभावित हो रहे हैं।
  2. शहरी मांग में गिरावट और निजी निवेश में सुस्ती से घरेलू अर्थव्यवस्था को झटका लग रहा है।
  3. वैश्विक स्तर पर व्यापार में अनिश्चितता, जिससे विदेशी निवेशकों की रुचि प्रभावित हो रही है।

किस क्षेत्र में कैसा प्रदर्शन:

क्षेत्रअनुमानित वृद्धि दर (2024-25)
कृषि3.8%
निर्माण (कंस्ट्रक्शन)8.6%
वित्तीय सेवाएं7.3%

पुरानी सरकार बनाम वर्तमान सरकार: क्या अंतर है?

विषयपिछली सरकार (2014–2019)वर्तमान सरकार (2019–2025)
आर्थिक नीतियाँजीएसटी, नोटबंदी, बुनियादी ढांचा निवेशPLI योजना, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया को विस्तार
वैश्विक संबंधव्यापार में विविधताटैरिफ नीति से चुनौतियाँ
RBI नीतिमितव्ययी मौद्रिक नीतिमौद्रिक नरमी की दिशा में

पिछली सरकार के कार्यकाल में निवेश और बुनियादी ढांचे पर ज़ोर था, जिससे GDP में स्थिरता बनी रही। वहीं वर्तमान सरकार ने उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) और डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा दिया, लेकिन वैश्विक परिस्थितियों (जैसे अमेरिकी टैरिफ) और घरेलू मांग में कमजोरी के कारण विकास दर पर असर पड़ा है।

भविष्य की संभावना:

  • विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र दोनों ने भारत की 2025–26 की वृद्धि दर को 6.6% से 6.7% के बीच रहने की उम्मीद जताई है।
  • RBI के और रेट कट्स की संभावना जताई जा रही है ताकि निवेश को बढ़ावा दिया जा सके।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि यदि नीतिगत सुधार और वैश्विक सहयोग बढ़े, तो भारत जल्द ही फिर से 7%+ ग्रोथ रेट हासिल कर सकता है।

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