प्रातःकाल डॉ. मधुकर का पटना में निधन हो गया।जनसंघ अध्यक्ष ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि भोजपुर जिला के मंडनपुर गाँव में जन्मे डॉ. श्रीनिवास तिवारी “मधुकर” ने मगध मार्तण्ड मण्डन मिश्र नामक शोधग्रंथ के द्वारा प्रसिद्ध विद्वान मण्डन मिश्र को मागध, शोणभद्रतटवासी सिद्ध किया है। इसमें मगध विशेषकर भोजपुर जिला के बौद्ध और सनातनी परम्परा के स्थानों व पद्धतियों का मौलिक अध्ययन किया गया है।
हनुमत् चरित्र के विविध आयाम नामक ग्रंथ पर सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी ने डॉ. मधुकर को वाचस्पति (डी.लिट्) की उपाधि प्रदान की थी। वे व्याकरण, कर्मकांड, ज्योतिष आदि से सम्बद्ध ग्रंथों एवं लेखों के द्वारा भी समाज की सेवा तथा साहित्य की समृद्धि करते रहे। उन्होंने कहा कि डॉ. मधुकर जीवनपर्यंत एक सफल शिक्षक रहे तथा अवकाश ग्रहण करने के बाद भी छात्रों को निःशुल्क संस्कृत पढ़ाते रहे। आचार्य डॉ. भारतभूषण पाण्डेय ने उन्हें वरिष्ठ सहयोगी बताते हुए जनसंघ के प्रदेश उपाध्यक्ष, श्री सनातन शक्तिपीठ संस्थान के संयुक्त सचिव और सनातन-सुरसरि मासिक पत्रिका के सहायक सम्पादक के रूप में किये गये उल्लेखनीय योगदान को रेखांकित किया। इस अवसर पर जनसंघ नेताओं मदनमोहन सिंह, अखिलेश्वर नाथ तिवारी, सत्येन्द्र नारायण सिंह आदि ने आचार्य डॉ. श्रीनिवास तिवारी “मधुकर” को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
श्री सनातन शक्तिपीठ संस्थान की ओर से डॉ. शशिरंजन त्रिपाठी एवं डॉ. निधीश कुमार मिश्र ने दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की व गीता पाठ किया। आचार्य भारतभूषण पाण्डेय ने प्रसिद्ध चिकित्सक कल्याण कुमार, व्यवसायी अनिल जैन और युवा समाजसेवी मणि पाण्डेय के असामयिक निधन पर भी गहरा दुःख व्यक्त किया है । उन्होंने कहा कि भगवान दिवंगत आत्माओं को अपने दिव्य धाम में स्थान दें तथा इस दुर्भाग्यपूर्ण महामारी से समाज की रक्षा करें।