आइसा के स्थापना दिवस पर छात्र विरोधी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के खिलाफ मजबूत छात्र आंदोलन को खड़ा करने का लिया संकल्प।
आरा/भोजपुर। आज ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के स्थापना के 30 साल पूरे हुए। इस अवसर पर छात्र संगठन आइसा के पूर्व राज्यसचिव शिवप्रकाश रंजन ने झंडोत्तोलन किया।
कहा जाता है कि वैश्विक पैमाने पर समाजवादी संकट, सोवियत विध्वंस, गल्फ वॉर का दौर था। देश के अंदर यह अभूतपूर्व आर्थिक सामाजिक राजनैतिक उथलपुथल का दौर था। देश का सोना गिरवी रखा जा रहा था, नव उदारवादी आर्थिक नीतियों का आगमन, मंडल कमंडल का दौर-एक ओर सामाजिक न्याय के लिए जद्दोजहद थी तो दूसरी ओर प्रतिक्रियावादी ताकतों का जबरदस्त backlash था, साम्प्रदायिक फासीवादी ताकतों का उभार हो रहा था, एक नई शिक्षानीति आ गयी थी, रोजगार का संकट गहरा रहा था।
छात्र राजनीति के नाम पर या तो राजनैतिक दलों के जेबी संगठन थे या लम्पटों के जातिवादी, साम्प्रदायिक गिरोह जो उनसे प्रत्यक्ष/परोक्ष जुड़े रहते थे। ऐसे ही तूफानी दौर में इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ भवन में, शहीद लाल पद्मधर भवन में क्रांतिकारी कम्युनिस्ट नेता नागभूषण पटनायक ने 8-9 अगस्त को AISA के स्थापना सम्मेलन का उद्घाटन किया। मंडल कमीशन लागू करने के ऐलान तले हुए इस सम्मेलन पर छात्ररूपी मनुवादी गुंडों ने हमला करने का प्रयास भी किया लेकिन वे खदेड़ दिये गये।
आइसा ने मंडल कमीशन की अनुशंसाओं का समर्थन करते हुए शिक्षा और रोज़गार के आंदोलन की बड़ी लक़ीर खींचने को अपना कार्यभार घोषित किया। मंडल-विरोधी तथा साम्प्रदायिक ताकतों के विरोध और हमलों का सफलता पूर्वक प्रतिकार करते हुए सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
आइसा पूर्व राज्यसचिव शिवप्रकाश रंजन ने कहा कि आज आइसा आन्दोलनों के 30 साल पूरे हुए। ऐसे दौर में एकतरफ जहाँ कोरोना माहमारी पूरे विश्व मे फैली हुई है देश मे आये दिन जब संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है सरकार महामारी की आड़ में नई-नई नीतियों को लागू कर रही है। देश के मजदूर,किसान, छात्र, नौजवान, दलित-मुस्लिम, महिलाएं सभी इस सरकार के जनविरोधी नीतियों से त्रस्त हैं। सरकार की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी पूरी तरह कॉरपोरेट जगत को फायदा पहुंचाने वाली नीति है। सरकार छात्रों को शिक्षा देने की अपनी दायित्व से पीछे हट रही है और पूरी शिक्षा व्यवस्था को पूंजीपतियों को सौंप देना चाहती है। इस शिक्षा नीति के वजह से देश के जो शोषित वर्ग हैं, आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के जो छात्र हैं उनको शिक्षा से पूर्ण रूप से बेदखल हो जाएंगे। सरकार नए नए शैक्षणिक संस्थानों को खोलने के बजाए उनको बंद करने पर आमादा है।
आइसा राज्य सचिव सबीर कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार नौजवानों को नौकरी देने के बजाए नौकरियों के पदों में कटौती कर रही है। सरकार किसान-मजदूर विरोधी अध्यादेशों को लागू कर रही है। सरकार के खिलाफ लिखने और बोलने वाले लेखक-कवियों को आज जेलों में बंद किया जा रहा है। आइसा के आज स्थापना दिवस पर सरकार के फासीवाद हमले और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के खिलाफ देश भर में आंदोलन चलाते हुए मोदी सरकार को पर्दाफाश करने और छात्र आन्दोलनों को तेज करने का संकल्प लेती है।
इस अवसर पर आइसा पूर्व राज्यसचिव शिवप्रकाश रंजन, राज्यसचिव सबीर कुमार, जिलासचिव रंजन कुमार, जिलाध्यक्ष पप्पू कुमार, सह सचिव सुशील यादव, चंदन कुमार, रविकांत, धर्मदेव कुमार, लॉ कॉलेज छात्र संघ महासचिव कृतिकान्त, सुजीत कुमार शामिल थे।