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शिक्षा नीति 2020 के खिलाफ ड्राफ्ट जलाकर आर्थिक-सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के छात्रों को शिक्षा से बेदखल करने की नीति।आइसा।

आरा/भोजपुर। आज छात्र संगठन आइसा ने आज वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का ड्राफ्ट जलाकर राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस मनाया। छात्रों ने नई शिक्षा नीति 2020 को छात्र विरोधी और गरीब विरोधी नीति का आरोप सरकार पर लगाया गया।
आइसा बिहार राज्य सचिव सबीर कुमार ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के जरिये समूचे शिक्षा व्यवस्था को देश के बड़े-बड़े पूंजीपतियों को बेचने की साजिश है। इस नीति के तहत सरकार छोटे छोटे शहरों में जो कई सरकारी स्कूल-कॉलेज हैं जो गरीब पृष्टभूमि से आनेवाले छात्रों के लिए शिक्षा लेने का एकमात्र जरिया है उन सबको ‘कम नामांकन और खस्ता हाल बुनियादी ढांचा’ के बहाने बंद किया जाएगा और निजी विश्वविद्यालय खोलेगी। सरकारी शैक्षणिक संस्थानों को बेहतर बनाने, उनपर खर्च करने के बजाए सरकार उसको बंद कर रही है और बड़े-बड़े इंस्टिट्यूट खोलेगी। 
इन निजी शैक्षणिक संस्थानों में गरीब तबके से आने वाले छात्र नहीं पढ़ पाएंगे। कुछ साल पहले सरकार ने अंबानी के जियो यूनिवर्सिटी को अस्तित्व में आये बिना ही सरकार ने 1000 करोड़ रुपये दिए और उसे ‘एमिनेंस’ का दर्जा भी दिया गया। लेकिन सरकार के पास सरकारी संस्थानों पर खर्च करने के लिए पैसे नहीं हैं, और वहीं निजी संस्थानों को चलाने के सरकारी खजाने से पैसे लेने की खुली छूट होगी। छात्र संगठन आइसा मोदी सरकार के इस छात्र विरोधी नीति 2020 के खिलाफ देशभर में आंदोलन खड़ा करेगी और सरकार के इस नीति का जमकर विरोध करेगी।
आइसा जिलाध्यक्ष पप्पू कुमार ने कहा इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में 4 साल एंट्री/एग्जिट डिग्री प्रोग्राम की बात कही गई है। जिन छात्रों के पास पैसे नहीं है वो 1 साल या 2 साल के बाद पढ़ाई छोड़ सकते हैं और उनको उतने साल की सर्टिफिकेट दे दिया जाएगा और जिनके पास पैसे हैं वो 4 साल तक अपनी पढ़ाई पूरी करके डिग्री ले सकते हैं। अगर कोई छात्र जॉब लेना चाहे तो जाहिर है कि प्राथमिकता डिग्री वाले छात्र की होगी। इसीलिए यह प्रोग्राम भेदभाव और असमानता को बढ़ावा देगा। 
आइसा जिलासचिव रंजन कुमार ने कहा शिक्षा का निजीकरण होने से सामाजिक न्याय और आरक्षण रोस्टर को खत्म कर दिया जाएगा। अगर प्राइवेट कॉलेज या स्कूल खुलते हैं तो उनमें आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं होगा। NEP 2020 में सामाजिक न्याय और आरक्षण पर कहीं कोई बात नहीं लिखी गई है। इसलिए ये शिक्षा नीति भेदभाव को बढ़ावा देगी और दलित-पिछड़े, आदिवासी, माइनॉरिटी, महिलाओं को शिक्षा से दूर कर दिया जाएगा। सरकार नई शिक्षा नीति को रद्द कर और समान शिक्षा प्रणाली को देश भर में लागू करे।
आज के विरोध प्रदर्शन में आइसा राज्यसचिव सबीर कुमार, जिलाध्यक्ष पप्पू कुमार, जिलासचिव रंजन कुमार, सह सचिव सुशील यादव, चंदन कुमार, लालजी शर्मा, राजू राम, राजू रंजन, अमरजीत, तारकेश्वर, धर्मदेव कुमार, सरीन सुमन।