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Covid-19 {5th} प्रवासी मजदूर जो बिहार वापस आये हैं, वो अपराध कर सकते हैं, इसके लिए प्लान तैयार करने की बात पर फेसबुक लाइव कि कुछ अहम बिन्दुयो को समक्ष किया गया/ सरासर अनुचित व अन्यायपूर्ण आदेश था जिसका विरोध होनें पर वापस लिया गया लेकिन माफ़ी नहीं मांगी गई। संजय कुमार।

 आरा/भोजपुर। आज 1. दिनांक 29.05.2020 को अपर पुलिस महानिदेशक (विधि- व्यवस्था) संजय कुमार ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र के माध्यम से यह सूचना दिया गया कि प्रवासी मजदूर जो बिहार वापस आये हैं, वो अपराध कर सकते हैं, इसके लिए प्लान तैयार करें।

 यह सरासर अनुचित और अन्यायपूर्ण आदेश था जिसका विरोध होनें पर उन्होंने इसे वापस लिया, लेकिन माफ़ी नहीं मांगी । जन अधिकार पार्टी यह मांग करती है कि संजय कुमार सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगे।

2. कास्तकार, छोटे और मंझले व्यापारी, जिनका कारोबार अमूमन बंद हो गया है या बंद होने की कगार पर है, उसे इस सरकार ने बेसहारा छोड़ दिया है। न तो सरकार को ये चिंता है कि इस कारोबार से जुड़े लोगों का परिवार कैसे चलेगा? और ना ही आगे इस कारोबार को सुचारु रूप से चलाने की सरकार के पास कोई योजना हैं ।

3. भारत सरकार ने बिना किसी योजना के अचानक से लॉक डाउन लगाया, जिसके नुकसान के बारें में ना तो सरकार ने सोचा ना ही इसका ठोस समाधान निकला। हालात बद से बदतर होते चले गए । गरीबों की ऐसी दुर्दशा तो भारत- पाकिस्तान के बटवारें के समय भी नहीं हुई थी। 365 लोग भूख से मर गए, 110 लोग ट्रेन में भूख और प्यास से मर गए, 38 लोग क्वॉरंटाइन सेंटर में सरकारी बदहाली की वजह से मर गए ।

जब तक मजदूरों की जेब में पैसे थे, तब लॉकडाउन लगाया, जब नेताओं और पूंजीपतियों के घर से पैसा जाने लगा तब इन्होंने लॉक डाउन हटा दिया। जबकि आज भारत में संक्रमितो की संख्या 240000 है जो हर 14 दिन में दो गुना हो जाता हैं। जरा सोचिये कि आने वाले 14 दिन में यह संख्या 480000 हो जायेगी और उसके अगले 14 दिनों में 960000 फिर आप कल्पना कीजिए कि सितंबर तक देश कोरोना से कितनी बुरी तरह से प्रभावित होगा।

 मगर सरकार ने सभी को बेसहारा छोड़ कर खुद को चिंता मुक्त कर लिया। नीतीश कुमार ने अपनी आँखों पर गांधारी वाली पट्टी बांध ली है। जो मर रहे है, वो मरे, इन्हें सिर्फ़ अपने खजाना खाली होनें की चिंता हैं ।

5. बिहार में नेता मिस्टर इंडिया वाली घड़ी बांधकर घुमतें हैं, जब भी जनता पर आफत आती हैं, फट से गायब हो जातें हैं… बाढ़ में गायब, चिन्की में गायब, भूकंप में गायब, NRC में गायब, कोरोना  बीमारी में गायब… मतलब कि जनता को जब भी इन नेताओं की मदद की ज़रूरत होती हैं , ये गायब हो जाते हैं, और जैसे ही चुनाव आता है, अपने बिल से निकलकर जनता को लुभावने वादे करतें हैं। जनता को यह समझना होगा कि इन नेताओं से देश का भला नहीं हो सकता, अगर ये सच में भला चाहते तो पिछले 30 सालों में बिहार कि ये दुर्दशा नहीं होती ।

6. पप्पू यादव ने कोटा ने बच्चों की घर वापसी के लिए 2.5 करोड़ रुपये की व्यवस्था की और बच्चों को वापस बुलाया, 22000 खातों में सीधे ट्रांस्फर करके राहत पहुॅचाईं, 450 बसों से लोगों को दिल्ली से बिहार भेजा, और लगभग 10 लाख परिवारों को राशन के रूप में मदद पहुॅचाईं। आज भी दिन के 18 घण्टे पप्पू यादव लोगों की सहायता में लगे हैं । जन अधिकार पार्टी की माँगे कुछ इस प्रकार हैं।

1. नीतीश कुमार इस्तीफ़ा दे
2. प्रवासी मजदूरों के खातें में कम से कम 7000 रूपये दे
3. बेरोजगारों का एक डाटा तैयार करके सबके खातें में 10000 रुपया दे
4. किसान, जिनकी फ़सल इस लॉकडाउन के कारण बर्बाद हो गयी, उनके खातें में खाद, बीज के लिए 12000 रुपये दे ।
5. 4 महीने का स्कूल और ट्यूशन फ़ीस को माफ़ करें
6. बिहार के सभी परिवारों का 4 महीनों का बिजली बिल माफ़ करें
7. मनरेगा के दिनों को 200 से बढ़ाकर 300 दिन करें और न्यूनतम मजदूरी 300 रुपया करें
8. बाहर से आये मजदूरों को जॉब कार्ड बनवाकर कम से कम 3 महीनें का पैसों का अग्रिम भुगतान करें
9. छोटे और मंझोले व्यवसायियों को तीन महीनें के लिए ब्याज़ की माफ़ी दे
और अंत में
आप सभी से निवेदन है कि 3 बात का ध्यान अवश्य रखें:-
1. अगर संभव हो तो अपनी जाँच अवश्य कराएं, संदेह होनें पर निकटतम जांच केंद्र जाएं और दिक्कत होनें पर अपने सेवक पप्पू यादव को याद करें
2. अपने आसपास परेशान लोगों को देखें तो यथासंभव लोगों की मदद करें ।
3. अति आवश्यक ना हो तो घर से बाहर ना निकलें। आपका जीवन आपके और आपके परिवार के लिए अति महत्वपूर्ण हैं ।