Covid-19 ) सोलह वर्षों से केवल दुष्प्रचार और झूठ की नकारात्मक राजनीति के बल पर हीं अबतक लोगों को ठगते रहे / आज स्थिति बदल चुकी है। नयी पीढ़ी अब चाल , चरित्र और चेहरे को पहचान चुकी है। झांसे में आने वाली नहीं। चित्तरंजन गगन

भाजपा और जदयू नकारात्मक राजनीति के दायरे से बाहर निकल हीं नहीं सकता। चित्तरंजन गगन।
पटना/बिहार। (जर्नलिस्ट गौतम कुमार) राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने राजद के स्थापना दिवस पर भाजपा और जदयू नेताओं के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि उनके साथ मजबूरी है , वे नकारात्मक राजनीति के दायरे से बाहर निकल हीं नहीं सकते।
        राजद प्रवक्ता ने कहा कि सोलह वर्षों से केवल दुष्प्रचार और झूठ की नकारात्मक राजनीति के बल पर हीं वे अबतक लोगों को ठगते रहे हैं। पर आज स्थिति बदल चुकी है। नयी पीढ़ी अब इन लोगों के चाल , चरित्र और चेहरे को पहचान चुकी है। वह इनके झांसे में आने वाली नहीं है।
जिस प्रकार बेरोजगारी और महंगाई विकराल रूप धारण करते जा रहा है , शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने में सरकार फिसड्डी साबित हो रही है। राज्य में कानून व्यवस्था पूर्णतः ध्वस्त हो चुका है।   उससे आम लोगों मे भारी आक्रोश है।
नयी पीढ़ी को वर्तमान और भविष्य की चिंता है । वह सरकार में बैठे लोगों से अपनी समस्याओं के समाधान का जबाब  जानना चाहती है , जो सत्ता में बैठे लोगों के पास नहीं है।
       
राजद प्रवक्ता ने कहा कि आज की पीढ़ी इंटरनेट से जुड़ी है वह तुलनात्मक रूप से  देख रही है कि भाजपा और जदयू के सोलह वर्षों के लम्बे कालखण्ड तक सत्ता में रहने के बावजूद हर मामले में  आज की स्थिति सोलह वर्ष पूर्व की स्थिति से भी पीछे क्यों चली गई । अब तो स्थिति यह है कि सरकार के मंत्री हीं सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहा है। सत्ताधारी विधायक भी अपनी सुरक्षा की गुहार लगा रहे हैं। आज सरकार के अन्दर के साथ हीं गठबंधन और सत्ताधारी दलो के अन्दर जिस प्रकार का अन्तर्विरोध और अन्तर्द्वन्द्व चल रहा है, देश के इतिहास में  यैसा एक भी उदाहरण नहीं मिलेगा।
          सच्चाई यह है कि राजद के स्थापना दिवस पर जिस ढंग से राज्य के शहर से लेकर गांव तक बड़ी संख्या में लोगों ने सोशल मीडिया के माध्यम से वर्चुअल रूप से जुड़ कर राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव को सुनने का काम किया उससे भाजपा और जदयू की बेचैनी काफी बढ़ गई है। तेजस्वी प्रसाद यादव की बढ़ती लोकप्रियता और जन स्वीकार्यता इन्हें पच नहीं रहा है। और न ये जनता के सवालों का जवाब देने में हीं सक्षम हैं। इसलिए बार-बार वही घीसे-पीटे टेप को सुना रहे हैं जिसे बिहार की जनता ने पिछले विधानसभा चुनाव में हीं खारिज कर चुका है।
           

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