*साधारण जिंदगी में बहुत बाते ऐसी होती है जिन पर हम ध्यान नही देते, लेकिन उनका वजूद हमेशा से है,हम लगभग रोज रोटी खाते है, और रोटी गोल होती है, कभी आप ने सोचा है कि रोटी गोल ही क्यो होती है, अगर गोल है तो किसने इसे डिजायन किया होगा, आज आप जरूर हसेंगे जब भोजन के समय अपनी रोटी देखेंगे।।*
*ईश्वर कैसा होता है, कभी किसी ने उसके स्वरूप की चर्चा नही की होगी,हम अपने बचपन से जैसी निर्मित ईश्वर की छवि को देखते आये हैं, वही रूप हम में बन गया है, ईश्वर स्वरूप के पीछे बड़ी मनोविज्ञानता है, ईश्वर को एक लावण्य स्वरुप में निर्मित किया कारण कि जब हम उनको देखे तो मन उन में बस जाए, बड़े मंदिरों में प्रवेश करते ही उनकी भव्यता से हम हत प्रत हो जाते है, कुछ क्षण के लिए मन सम्मोहित हो जाता हैं,*
*ईश्वर के स्वरूप श्रंगार में बिभिन्न तरह के अलंकार वस्त्र उपयोग में आते है,कारण कि अधिक से अधिक स्वरूप लुभावना हो , भोग भी कई तरह के सामग्री पदार्थ के बनते है, कारण कि भोग के उपरांत हमारी इच्छा उसे प्राप्त करने में हो।।*
*रोटी का गोल होना इसी क्रम में है कि उसका स्वरूप सुंदर लगे, हमे उसमे रुचि हो, ईश्वर को इसी लिए अलौकिक बनाते है कि हम उनके सम्मोहन में रहे, रोटी अच्छी होगी तो पेट अच्छा भरेगा,ईश्वर स्वरूप सुंदर होंगे तो हमारे विचारों में सुधार होगा*
*रोटी खाओ पेट मे बसाओ, ईश्वर का दर्शन करो ह्रदय में बसाओ।।*