सनोवर खान
पटना सिटी । वैश्विक मंच पर लघुकथा
के माध्यम से हम जीवन के सभी पहलूओं क़ा आत्मिक चित्रण कर सकते हैं। आज यह विधा सशक्त रूप
से साहित्य के क्षितिज पर सर्वमान्य हो
गई है़ ,साथ ही कम समय में सबकुछ
मिल जाने के कारण सभी वर्ग के पाठकों में लोकप्रिय हो रही है़ ।
सच कहा जाए तो संवेदनाओं के
सम्प्रेषण क़ा सुगम मार्ग है़ लघुकथा ।
इन दिनों लघुकथाकारों नें लघुकथा
लेखन में नाटकीय शैली क़ा प्रयोग
किया है़ ,यदि इसपर मंचन हो तो
जीवंतता तो दिखेगी ही लघुकथा क़ा
भविष्य कालजई होगा । ये बातें आज
महेन्द्रू स्थित ” व्योम सभागार ” में
स्वराँजलि द्वारा अयोजित वरीयतम
लघुकथाकर व शिक्षाविद डा.सच्चिदानंद सिंह साथी के प्रथम
जयंती के अवसर पर कार्यक्रम की
अध्यक्षता करते हुए वरीय लघुकथाकार व लेखक डा. ध्रुव कुमार
नें कही।
इस पुनीत अवसर पर चर्चित लघुकथाकारों क़ा लघुकथा
पाठ हुआ ।
डा .साथी की लघुकथा संग्रह :
चरैवेति लघुकथायें , में से उनकी ही
लघुकथा क़ा पाठ किया गया ।
डा. ध्रुव कुमार नें ” अनकहा दर्द ” ,
” गुरु दक्षिणा ”
प्रभात कुमार धवन नें ” अंतः स्वर “
” कहां गया देश ”
अहमद रज़ा हाशमी नें ” भींगती पलकें ” , सर्वशिक्षा चालीसा “
नेक आलम नें ” निरुत्तर ” , “कर्तव्य “
आलोक चोपड़ा नें ” जनता जनार्दन ”
” श्रधांजलि ”
प्रोफ़ेसर अनिता राकेश नें ” भगवान?
“सच क़ा सवाल “
अनिल रश्मि नें ” पीड़ित मानवता के लिए ” , ” देश की ख़ातिर ”
प्रोफ़ेसर डा .सूर्य प्रताप नें ” बायोडाटा
” रिक्सा क़ा किराया “
वीरेंद्र भारद्वाज नें ” माल्यार्पण ”
” फाईल क़ा सच ” लघुकथा क़ा पाठ
किया । लघुकथाकारों नें कहा ……
डा. साथी की लघुकथाओं में जहाँ एक
ओर अंतहीन वेदनाएं दिखतीं हैं तो
दूसरी ओर बिगड़ी व्यवस्था पर करारा
प्रहार करती है़ और समाज को आईना
दिखाती है़ ।
प्रारंभ में उनके तैल चित्र पर साहित्यकरों नें पुष्प व मालाएं अर्पित की और केक भी कटे गए । मौके़ पर
अभिनेता व साहित्यप्रेमी जितेंद्र कुमार
पाल , दूधेश्वर प्रसाद गुप्ता ,राजा पुट्टु
संजय यादव , डा. विजेंद्र चंद्रवंशी
मौजदू थे ।