Covid-19 ) लोजपा संसदीय दल का नेता अधिसूचित करना संसदीय परम्परा के विरूद्ध है। चित्तरंजन गगन

 बंगला ने तीर को अपने आगोस में लिया था ,पूर्व हुए विधानसभा चुनाव में …

पटना /बिहार | (जर्नलिस्ट गौतम कुमार ) राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने लोक जनशक्ति पार्टी मामले में लोकसभा द्वारा गलत परम्परा की शुरुआत करने का आरोप लगाया है। राजद प्रवक्ता ने कहा कि लोकसभा द्वारा पशुपति कुमार पारस को लोजपा संसदीय दल का नेता अधिसूचित करना संसदीय परम्परा के विरूद्ध है। लोकसभा में उन्हें अलग गुट के नेता के रूप में मान्यता दी जा सकती थी। किसी पार्टी के संसदीय दल का नेता कौन है यह उस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा लोकसभा अध्यक्ष को सूचित किया जाता है। भले हीं लोकसभा में लोजपा के छः सदस्यों में पाँच सदस्यों ने पशुपति कुमार पारस को अपना नेता चुन लिया हो पर बगैर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के अनुशंसा के उन्हें लोजपा संसदीय दल का नेता अधिसूचित करना संसदीय परम्परा के विरूद्ध है।

संसदीय दल का नेता और संसद सदस्यों को न तो राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाने और न राष्ट्रीय अध्यक्ष के खिलाफ कोई कार्रवाई करने का अधिकार है। राजद प्रवक्ता ने कहा कि पहले भी यैसी घटनाएं घटी है जिसमें पार्टी नेतृत्व के खिलाफ लोकसभा में पार्टी के बहुमत सदस्यों का समर्थन रहने के बावजूद उसे एक गुट के रूप में हीं मान्यता दी गई है।


राजद प्रवक्ता ने कहा कि 1069 में कौंग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष निजलिंगप्पा ने इंदिरा गांधी को कौंग्रेस संसदीय दल के नेता पद से हटा कर डॉ रामसुभग सिंह को कौंग्रेस संसदीय दल का नेता चुन लिया था। लोकसभा में कौंग्रेस के अधिकांश सदस्य श्रीमती गांधी के समर्थन में थे पर तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष जी एस ढिल्लो द्वारा डॉ रामसुभग सिंह को हीं कौंग्रेस संसदीय दल के नेता के रूप में मान्यता दी गई। और इंदिरा जी को लोकसभा में एक अलग गुट कौंग्रेस(आर ) के नेता के रूप में मान्यता दी गई। डॉ रामसुभग सिंह लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बने और उनके नेतृत्व वाली कौंग्रेस को कौंग्रेस (ओ ) की संज्ञा दी गई।जबकि जी एस ढिल्लो खुद श्रीमती गांधी के प्रबल समर्थक थे।

इसलिए लोकसभा अध्यक्ष द्वारा पशुपति कुमार पारस को लोजपा संसदीय दल के नेता के रूप में अधिसूचित करना एक गलत परम्परा की शुरुआत मानी जायेगी। और इससे संसदीय लोकतंत्र न केवल कमजोर होगा बल्कि उसकी ऐतिहासिक गरीमा को ठेस पहुंचेगा ।

आपको बता दे…..

पिछले हुए बिहार विधानसभा चुनाव में लोजपा का गठबंधन भाजपा से था परन्तु इस बार हुए बिहार विधानसभा में सीटो का ताल में नहीं बैठने के कारण लोजपा सुप्रिमो के पुत्र चिराग पासवान ने जदयु के खिलाफ मुहीम खोल दी और जिस विधानसभा क्षेत्र में जदयू का उमीदवार था वही लोजपा ने भी अपनी उमीदवार उतरा था जिस कारण से जदयू को अपना कई सिट गवाना पड़ा था |


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DNTV इंडिया NEWS

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