Covid-19) मृदंग वादक बाबूलाल जी की जयंती परिचर्चा के रूप में मनाई गई।
(जर्नलिस्ट गौतम / मनीष सिंह)
आरा पटेल बस पड़ाव स्थित भिखारी ठाकुर एकता मंच परिसर में स्थापित चर्चित मृदंग वादक सत्रुंजय प्रसाद सिंह उर्फ बाबू ललन जी की जयंती आज परिचर्चा के रूप में मनाई गई।
बड़ी चर्चा का विषय था बाबू ललन जी उनका व्यक्तित्व एवं कृतित्व। परिचर्चा की अध्यक्षता भोजपुर प्रेस क्लब ऑफ आरा के अध्यक्ष रंगकर्मी रजनीश त्रिपाठी व संचालन डॉ दिनेश प्रसाद सिन्हा ने किया।
भिखारी ठाकुर सामाजिक शोध संस्थान आरा के बैनर तले आयोजित परिचर्चा को संबोधित करते हुए दिल्ली से आए तबला वादक अमितेश सैंडिल ने बाबू लल्लन जी को उदौ सिंह घराना का संगीतज्ञ बताते हुए कहा कि पखाउज काव्यमें ललन जी को महारत हासिल था।
मंत्रों छंद संबंधों आदि को पखावज से स्वर् निकालने में उनका कोई जोर नहीं था। वहीं कोलकाता से आय जुआ तबला वादक अनुदीप गे ने कहा कि इनके पखाउज वादन की शैली कुछ अलग ढंग की थी जिससे इनकी ख्याति देसी ही नहीं विदेशों में भी फैल गई। इनकी पुत्र वधू लीला सिंगर एक स्मरण सुनाते हुए कहा कि कोलकाता के एक संगीत सम्मेलन में जानबूझकर ललन जी को बेदुब पखाउज दे दिया गया लेकिन ललन जी ने हंसते हुए उस पखाउज को हाथ और पैर से बजा कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया।
अध्यक्षीय संबोधन में रजनीश त्रिपाठी ने कहां की पूर्वांचल इला को मैं बाबू ललन जी संगीत की गौरवशाली स्वर्णिम अतीत के मुखर हस्ताक्षर थे। स्वामी लोगों में डॉ किरण कुमारी उमेश कुमार सुमन अमरेश सिंह कमलेश व्यास आदि थे इस अवसर पर बाहर से आए संगीतज्ञ को बुके देकर सम्मानित किया गया।
इसके पूर्व शोध संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष नरेंद्र सिंह पत्रकार की देखरेख में बाहर से आए कलाकारों और बाबू ललन जी के परिजनों द्वारा उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया साथ ही बगल में स्थापित उस्ताद बिस्मिल्लाह खान और भिखारी ठाकुर की प्रतिमाओं पर भी सभी लोगों ने पुष्प अर्पित किए।