पटना सिटी गुरु गोविंद सिंह अस्पताल के गार्डो के द्वारा लगातार लोगो से मास्क लगाने की अपील की जा रही है पहले मास्क लगाईये फिर अस्पताल जोईये।
ठीकेदार कर्मचारी हनुमान सिंह पढ़ाते है सफाई एवं कानून का पाठ पत्रकारों को। सफाई सही नही होने पर जब पत्रकारों ने हनुमान सिंह से पूछा तो कहा हमको जैसे सफाई का काम करना है वैसे कराएगें आपको जहा शिकायत करना है तो कर दीजिये हमारा मालिक सभी को देख लेगा क्यों कि उनका पूरा पटना में सफाई का ठीका चलता है।
पटना से सनोवर खान के साथ मो0 मोख्तार की रिपोर्ट
पटना सिटी:स्थाई अधीक्षक नहीं होने से करनी पड़ रही है काफी कठिनाइयों का सामना। गुरु गोविंद सिंह अस्पताल में नहीं दवा के लिस्ट और नहीं दवा की सूची और नही डॉ की सूची टांगी यह लिखी गई है। दो माह पूर्व से ही डॉ की सूची को लगा कर छोड़ दिया गया है इन सबो छोटी- छोटी चीजो को न कोई देखने वाला ना कोई सुनने वाला।
गुरुगोविंद सिंह अस्पताल व्यवस्था का लचर व्यवस्था बनाकर रख दिया गया है। व्यवस्था के नाम पर डॉ चैम्बर का AC खराब,मरीजो के लिए पानी पीने की सुविधा नग्न। राम भरोसे चराये जा रहे है गुरुगोविंद सिंह अस्पताल।
हालांकि अस्पताल प्रबंधक चन्द्र शेखर आज़ाद ने कहा है कि एक से दो माह के बीच सारा सिस्टम को व्यवस्था करवा कर सुचारू रूप से चलाया जाए गा।
सूत्रों के अनुसार पता चला हैं कि लोकल तत्वे के लोग अस्पताल प्रबंधन को दवाब बनाने की कोशिश कर रहे है। पटना सिटी का प्रसिद्ध अस्पताल गुरु गोविंद सिंह अस्पताल की पावन धरती पर आज पटना के सिविल सर्जन यानी जिनके कंधों पर जिला के अस्पतालों को मजबूत एवं व्यवस्थित करने का दायित्व है आज उन्हीं के द्वारा इस अस्पताल का लगातार दूसरी बार निरीक्षण किया गया। आज ही के दिन अस्पताल के नए प्रबंधक चंद्रशेखर कुमार आजाद ने कार्यभार संभाल लिया शायद इनके आने के बाद अस्पताल की दिशा दशा सुधर पाएगी।
आज क्या कारण है की सिविल सर्जन के आते ही अस्पताल में सफाई व्यवस्था शुरू हो जाती है आखिर ऐसा क्या बात है कि यहां के साफ सफाई के ठेकेदार इतनी लचर व्यवस्था बनाकर रखे हैं अस्पताल के आगे पीछे इतनी गंदगी है बदबू आती है की मरीज यहां आने से कतराने लगे हैं। अभी भी यहा दांत के एक्सरे की व्यवस्था नहीं हो पाई है। लगातार बड़े अधिकारी के निरीक्षण करने के बावजूद आखिर व्यवस्था क्यों नहीं सुधर रही है। यहां सिर्फ एक ही महिला डॉक्टर के द्वारा गाइनेकोलॉजी में इलाज किया जा रहा है।
आपातकालीन चिकित्सा में सिर्फ एक डॉक्टर उपस्थित रहते हैं पारा मेडिकल स्टाफ के द्वारा इमरजेंसी में इलाज किया जाता है जबकि यहां कैदियों का भी इलाज होता है हाथ में हथकड़ी लगा हुआ कई बार गंभीर अपराधों के कैदी मरीज यहां आते हैं तो उनके लिए सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था क्यों नहीं है शायद कोई अप्रिय घटना के घटने का इंतजार हो रहा है मात्र 2 सिपाही के बदौलत यहां कैदियों का इलाज कराया जाता है। यहां के चिकित्सक प्राइवेट प्रैक्टिस में ज्यादा ध्यान देते हैं बशर्ते अस्पताल में इतनी दिलचस्पी या रुचि नहीं लेते हैं आखिर उनका नाम और प्रचार तो इसी अस्पताल से शुरू होता है तो फिर यहां के मरीजों के साथ भेदभाव क्यों करते हैं। खुशी की बात है कि इस अस्पताल में जल्द ही आंखों का अलग से इलाज शुरू होगा जिसमें ऑपरेशन भी शामिल है ताकि आंख के जटिल मरीजों को यहां इलाज आसानी से किया जा सके उनको भर्ती भी किया जाएगा।
पत्रकार सनोवर खान ने पटना सिविल सर्जन से पूछा कि यहां आंख के मरीजों का इलाज में क्या सुविधा मिलेगी तो उन्होंने बताया जिस तरह के अन्य मरीजों को सुविधा दी जाती है उसी तरह आंख के मरीज को भी सुविधा दिया जाएगा । फिर भी पटना सिटी के मरीज इस अस्पताल से संतुष्ट क्यों नहीं है उनके मन मे कहीं ना कहीं पीड़ा साफ झलक दिखाई दे रही है तो क्यों नहीं उनके दुख दर्द को हम बांटे सहानुभूति पूर्वक इन्हें समझाएं। यहां के सफाई ठीकेदार हनुमान सिंह तो मरीजों से ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे जेल में कैदियों के साथ होता है हालांकि गार्ड मृदुभाषी और मिलन स्वभाव के हैं जिनसे मिलकर मरीज खुश होते हैं और जानकारी प्राप्त करते हैं उतना अच्छा से पूछताछ काउंटर पर भी नहीं बताया जाता है