नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की तीखी अंदाज >
बिहार की बदहाल महाभ्रष्ट स्वास्थ्य व्यवस्था पर आप स्वयं एक नजर डालिए तथा 16 वर्षों के मुख्यमंत्री की झूठी बनावटी बातों से इसकी तुलना कीजिए।
एक थका हारा और अनुकंपा पर बहाल मुख्यमंत्री इतनी सफ़ेद झूठ बोलने की हिम्मत कहाँ से जुटाता है? निसंदेह यह किसी शोध का विषय होना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी, जितनी ऊर्जा व जुगत आप विपक्षियों को फँसाने, जोड़ तोड़ तथा नीति, नियम, सिद्धांत और विचार त्याग अपनी जर्जर कुर्सी के टूटे पाये ठीक करने में लगाते है अगर उसका एक फ़ीसदी भी स्वास्थ्य संरचना और व्यवस्था ठीक करने में लगाते तो बिहारवासियों को बिन ईलाज नहीं मरना पड़ता।
जब सरकार को जागना चाहिए था तब भाजपा की एनडीए सरकार कोरोना बीमारी को ही नकार रही थी। फिर माना तब नमस्ते ट्रम्प व MP में सरकार बना ताली-थाली बजवा, दीया बत्ती जलवा रही थी।
और जब मामले बढ़े तो गेंद राज्यों के पाले में फेंक दिया। जब केंद्र सरकार का कोई दायित्व ही नहीं है तो है किसलिए? चुनाव प्रचार के लिए?
कोरोना संकट को एक साल बीत गया पर केंद्र और राज्य की ड़बल इंजन सरकार ने अब तक क्या ठोस कार्य किया?
हेल्थ इंफ़्रास्ट्रक्चर को कितनी मजबूती दी?
PM केयर्स फंड का कहाँ सदुपयोग हुआ?
आरोग्य सेतु एप्प कितना कारगर हुआ?
टीकाकरण की गति कछुआ चाल क्यों है?
वेंटिलेटर,O2, जरूरी दवाओं,बेड और संजीदगी की कमी क्यों है?
क्या नीतीश जी के पास 12 करोड़ बिहारवासियों के वाजिब सवालों का जवाब है? क्या 16 वर्षों के मुख्यमंत्री यह बता सकते है कि विगत एक वर्ष में वह ऑक्सीजन तक की उपलब्धता सुनिश्चित क्यों नहीं करा सके? कोरोना प्रबंधन को लेकर वह क्या कर रहे थे?बिहार की स्वास्थ्य सेवा ICU में भर्ती क्यों है?