वैश्विक महामारी कोविड -19 अपने चरम पर नित रोज अनगिनत शवों का आहार लें रहा है ! उसका भूखा और मोटा पेट आसानी से भरने वाला तो नहीं है ! शासन सरकार अपने नागरिकों को बचाने के प्रयास कर ही रही है ! ये अलग बात है कि आम नागरिक सरकारों के प्रयासों को नाकाफ़ी मानते है !
हालांकि इसमें कुछ असाधारण नहीं क्योंकि लोककल्याणकारी राज्य में नागरिकों की आशा अपेक्षा ऊंची रहती है और रहनी भी चाहिए ! अपन सीधे मूल बात ही आते है ! यह महामारी नर गिध्दों के लिए वरदान सिध्द हो रही है, वे बहुत खुश है ! कई स्थानों पर टेक्सी चालको ने प्रति किलोमीटर की दर में अप्रत्याशित वृद्धि कर दी है ! प्राणवायु सिलेंडर और खाली बेड की कालाबाजारी की जाकर उसकी कृत्रिम कमी बताई जाकर हजारों वसूल किये जा रहे है ! हमारे पूर्वज बताया करते थे कि अकाल में अंग्रेजी बबूल बहुत फूलते फलते है जो बहुत हानिकारक होते है ! न छाया देते है न फल और देते है केवल काँटे ! अकाल में दुष्ट भी उसी प्रकार फल फूल रहे है ! आपदा इन दुष्टों के लिए एक महान अवसर लेकर आई है ! अब तक पकड़े जाने कालाबाजारी दुष्टों की सूची लेकर अध्ययन किया जाए तो कुछ बात बन सकती है ! यदि उनमें किसी वैचारिक साम्य पाया जावे तो उसके आधार पर दूसरे नर गिध्दों को पकड़ने में सुविधा हो सकती है !
इन नर गिध्दों को जानकारी नहीं है कि मृत्यु प्रेमी कोरोना से वे नररत्न भी अछूते न रहे जिन्होंने जीवन भर में कोई अपकृत्य न किया था ,फिर जानबूझकर पाप करने वालों उन जैसों का क्या हाल होगा ! शवों को नोंचने वाले गिध्द जब मरेंगे तो उनके शवों को कौन नोचेगा? जाहिर है कोई दूसरा गिद्द तो नहीं ! इनके शवों को सिर्फ कीड़े ही खाकर डिस्पोज करेंगे !
इस पृथ्वी पर कोई भी प्राण स्थायी नहीं है ! क्या बात है कि नर गिद्द इस मौलिक सत्य को जानते न होंगें ? वे जानते है सब ! नर गिध्दों को आसानी से न मिलने वाला दंड ही उन्हें ऐसे कुकर्म करने के लिए प्रेरित कर रहा है ! परमेश्वर भी शायद आँखे मूंदकर कर बैठा है ! वह कलियुग में हैवानियत की अंतिम पराकाष्ठा का मानक स्थापित करना चाहता है ! निःशब्द हूँ ! व्यथित हूँ ! आहत हूँ ! पर आशावान भी हूँ क्योंकि आशा का त्याग ही हार की निशानी है ! मैं हारना नहीं चाहता !