गुरु जी – एक नगर मे एक बहुत ही आलीशान भवन बना हुआ था उस भवन मे एक सेठजी रहते थे ।
दो खाली कमरे थे वहाँ दो किरायेदार आये और सेठजी से प्रार्थना करने लगे की हमें अपना मकान किराये पर दे दीजिये उनकी हालत देखकर सेठजी को रहम आ गया सेठजी बहुत भोले और भले पुरूष थे ।
सेठजी ने कहा की मैं मकान किराये पर तो दे दूँगा,
पर निश्चित अवधि के लिये और कोर्ट से लिखा पढ़ी कराकर दूंगा । ताकि बाद मे कोई लफड़ा न हो और जब मैं चाहूं तब आपको मकान खाली करना पड़ेगा यदि मॆरी ये शर्ते स्वीकार है तो आ जाओ नही तो दुनियाँ बहुत लम्बीचौड़ी है आप जा सकते है !
दोनों तयार हो गए।
हर महीने वो किराया देते थे धीरे धीरे बहुत समय व्यतीत हुआ एक दिन मकान मालिक ने उन दोनो से कहा की आप मकान खाली कीजिये तो एक ने तत्काल मकान खाली कर दिया और वहाँ से आगे चला गया ।
पर वो जो दूसरा था वो कहने लगा कि मकान तो मेरा है क्यों खाली करूँ तो सेठजी अपने साथ पहलवानों को लाये और उसकी खुब पिटाई की और पिटाई करते करते उसे मकान से बाहर निकाल दिया ।
अब वो थाने मे हवलदार साब के पास पहुँचा सेठजी के खिलाप मुकदमा दर्ज करवाया और थानेदार सेठजी को लेने पहुँचे पर जब थानेदार जी को हकीकत पता चली तो उस किरायेदार को डंडे से पिटा और जेल मे डाल दिया ।
शिष्य – क्षमा गुरु जी पर पहले और दुसरे किरायेदार मे कितना अन्तर था ।
गुरु जी – हाँ वत्स एक ने किराये के मकान को अपना समझा साफ सफाई भी रखी और जैसै ही सेठजी का आदेश हुआ तत्काल मकान खाली भी कर दिया ।
और दुसरा मकान को भी गंदा किया और मालिक भी बनना चाहा तो डंडे पड़े जेल भी गया ।
शिष्य – पर यदि वो दुसरा भी किरायेदार बनकर रहता मालिक बनने की कोशिश न करता तो उसे यु डंडे न पड़ते और कारावास की सजा न होती ।
गुरूजी – हाँ वत्स यही तो मैं तुमसे कह रहा हुं की हम सब यहाँ एक किरायेदार ही है इससे ज्यादा और कुछ नही ।
हॆ वत्स ये काया और ये माया इन्हे व्यवहार मे अपना कह लिजिये पर अधिकारपूर्वक मत कहना क्योंकि पता नही मकान मालिक कब मकान खाली करवा दे ।
हॆ वत्स ये कभी न भुलना की हम सब किरायेदार है और किरायेदार बनकर रहेंगे तो सदा लाभ मे रहेंगे मालिक बनने की कोशिश की तो डंडे पडेंगे ,
मालिक बनने की कोशिश कभी मत करना वत्स क्योंकि ये काया किराये का एक मकान है और हम केवल एक किरायेदार है और एक दिन किराये के इस मकान को खाली करना ही पड़ेगा बस तुम तो राम सुमिरन और राम सेवा से इसका ईमानदारी से किराया अदा करते हुये चलो ।
और ये हमेशा याद रखना की इस किराये के मकान को किराये का ही समझना ।