DNTV India News Hindi News, हिंदी न्यूज़ , Today Hindi Breaking, Latest Hindi news..

Covid-19 } ईश्वर की लाठी में आवाज नही होती।

एक साधु वर्षा के जल में प्रेम और मस्ती से भरा चला जा रहा था,कि उसने एक मिठाई की दुकान को देखा जहां एक कढ़ाई में गरम दूध उबाला जा रहा था तो मौसम के हिसाब से दूसरी कढ़ाई में गरमा गरम जलेबियां तैयार हो रही थीं।
साधु कुछ क्षणों के लिए वहाँ रुक गया,शायद भूख का एहसास हो रहा था या मौसम का असर था।साधु हलवाई की भट्ठी को बड़े गौर से देखने लगा साधु कुछ खाना चाहता था
लेकिन साधु की जेब ही नहीं थी तो पैसे भला कहां से होते,साधु कुछ पल भट्ठी से हाथ सेंकनें के बाद चला ही जाना चाहता था कि नेक दिल हलवाई से रहा न गया और एक प्याला गरम दूध और कुछ जलेबियां साधु को दे दीं।
मलंग ने गरम जलेबियां गरम दूध के साथ खाई और फिर हाथों को ऊपर की ओर उठाकर हलवाई के लिए प्रार्थना की,फिर आगे चल दिया।
साधु बाबा का पेट भर चुका था दुनिया के दु:खों से बेपरवाह,वो फिर एक नए जोश से बारिश के गंदले पानी के छींटे उड़ाता चला जा रहा था। यह इस बात से बेखबर था कि एक युवा नव विवाहिता जोड़ा भी वर्षा के जल से बचता बचाता उसके पीछे चला आ रहा है।
एक बार इस मस्त साधु ने बारिश के गंदले पानी में जोर से लात मारी। बारिश का पानी उड़ता हुआ सीधा पीछे आने वाली युवती के कपड़ों को भिगो गया उस औरत के कीमती कपड़े कीचड़ से लथपथ हो गये। उसके युवा पति से यह बात बर्दाश्त नहीं हुई।
इसलिए वह आस्तीन चढ़ाकर आगे बढ़ा और साधु के कपड़ो को पकड़ कर खींच कर कहने लगा -“अंधा है?तुमको नज़र नहीं आता तेरी हरकत की वजह से मेरी पत्नी के कपड़े गीले हो गऐ हैं और कीचड़ से भर गऐ हैं?”
साधु हक्का-बक्का सा खड़ा था जबकि इस युवा को साधु का चुप रहना नाखुशगवार गुज़र रहा था।
महिला ने आगे बढ़कर युवा के हाथों से साधु को छुड़ाना भी चाहा,लेकिन युवा की आंखों से निकलती नफरत की चिंगारी देख वह भी फिर पीछे खिसकने पर मजबूर हो गई।
राह चलते राहगीर भी उदासीनता से यह सब दृश्य देख रहे थे लेकिन युवा के गुस्से को देखकर किसी में इतनी हिम्मत नहीं हुई कि उसे रोक पाते और आख़िर जवानी के नशे मे चूर इस युवक ने,एक जोरदार थप्पड़ साधु के चेहरे पर जड़ दिया।बूढ़ा मलंग थप्पड़ की ताब ना झेलता हुआ लड़खड़ाता हुआ कीचड़ में जा गिरा।
युवक ने जब साधु को नीचे गिरता देखा तो मुस्कुराते हुए वहां से चल दिया।
बूढ़े साधु ने आकाश की ओर देखा और उसके होठों से निकला,
“वाह मेरे भगवान कभी गरम दूध जलेबियां और कभी गरम थप्पड़!!!”
“लेकिन तू अगर चाहे मुझे भी वही पसंद है।”
यह कहता हुआ वह एक बार फिर अपने रास्ते पर चल दिया।
दूसरी ओर वह युवा जोड़ा अपनी मस्ती को समर्पित अपनी मंजिल की ओर अग्रसर हो गया। थोड़ी ही दूर चलने के बाद वे एक मकान के सामने पहुंचकर रुका। वे अपने घर पहुंच गए थे।
वो युवा अपनी जेब से चाबी निकाल कर अपनी पत्नी से हंसी मजाक करते हुए ऊपर घर की सीढ़ियों तय कर रहा था। बारिश के कारण सीढ़ियों पर फिसलन हो गई थी। अचानक युवा का पैर फिसल गया और वह सीढ़ियों से नीचे गिरने लगा।
महिला ने बहुत जोर से शोर मचा कर लोगों का ध्यान अपने पति की ओर आकर्षित करने लगी जिसकी वजह से उसके सम्बन्धी और दूसरे लोग तुरंत सहायता के लिये युवक की ओर लपके और अस्पताल ले गए।
युवक का सिर फट गया था और कुछ ही देर में ज्यादा खून बहने लगा।लोगों ने दूर से आते साधु बाबा को देखा तो आपस में कानाफूसी होने लगी कि निश्चित रूप से इस साधु बाबा ने थप्पड़ खाकर युवा को श्राप दिया है,तभी उसे चोट लगी।
दूसरे युवकों ने यह बात सुनकर साधु बाबा को घेर लिया। एक युवक कहने लगा कि,
-“आप कैसे भगवान के भक्त हैं जो केवल एक थप्पड़ के कारण युवा को श्राप दे बैठे।भगवान के भक्त में रोष व क्रोध  हरगिज़ नहीं होता।आप तो जरा सी असुविधा पर भी धैर्य न कर सकें।”
साधु बाबा कहने लगा -“भगवान की शपथ ! मैंने इस युवा को श्राप नहीं दिया।
“अगर आप ने श्राप नहीं दिया तो ऐसा नौजवान युवा सीढ़ियों से कैसे गिरा कि उसे इतनी गंभीर चोट आई।”
तब साधु बाबा ने दर्शकों से एक अनोखा सवाल किया कि
-“आप में से कोई इस सब घटना का चश्मदीद गवाह मौजूद है?”
एक युवक ने आगे बढ़कर कहा -“हाँ! मैं इस सब घटना का चश्मदीद गवाह हूँ।”
साधु ने अगला सवाल किया-“मेरे क़दमों से जो कीचड़ उछला था क्या उसने युवा के कपड़ों को दागी किया था?”
युवा बोला- “नहीं। लेकिन महिला के कपड़े जरूर खराब हुए थे।”
मलंग ने पूछा- “फिर युवक ने मुझे क्यों मारा?”
युवक कहने लगा,
– “क्योंकि वह युवा इस महिला का प्रेमी था और यह बर्दाश्त नहीं कर सका कि कोई उसके प्रेमी के कपड़ों को गंदा करे।इसलिए उस युवक ने आपको मारा।”
युवक की बात सुनकर साधु बाबा ने एक जोरदार ठहाका बुलंद किया और यह कहता हुआ वहाँ से विदा हो गया…..
*तो! भगवान की शपथ ! मैंने श्राप कभी किसी को नहीं दिया लेकिन कोई है जो मुझसे प्रेम रखता है।अगर उसका प्रेमी  सहन नहीं कर सका तो मेरे प्रेमी  ‘प्रभु’ को कैसे बर्दाश्त होगा कि कोई मुझे मारे?और वो मेरा प्रेमी  इतना शक्तिशाली है कि दुनिया का बड़े से बड़ा राजा भी उसकी लाठी से डरता है।
सच है।उस परमात्मा की लाठी दीख़ती नहीं और आवाज भी नहीं करती लेकिन पड़ती है तो बहुत दर्द देती है।
अपने धन, सत्ता , बल  और पद का अहंकार दूसरे को चोट पहुंचाने का कारण बनता है किन्तु जब समय का चक्र हमारी तरफ घूमता है तो हमारा कष्टों का दौर शुरू हो जाता है।
हमारे  शुभ कर्म  यानि पुण्य  ही हमें उसकी लाठी से बचाते हैं,बस कर्म अच्छे होने चाहिये।किसी को भी चोट पहुँचाना खुद चोट खाने की तैयारी करना है यानि अपने प्रारब्ध में पाप का संचय है !
हमें अपने गलत कर्मों से डरना चाहिए क्योंकि *”” ईश्वर की लाठी में आवाज नही होती !!””*
<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<
*!!!…जिस तरह थोडी सी औषधि., भयंकर रोगों को शांत कर देती है…,*
*उसी तरह….ईश्वर की थोडी सी स्तुति….बहुत से कष्ट और  दुखों का नाश कर देती है…!!!”*
       *जय श्री राधे कृष्ण*
             🙏🙏🌺🙏🙏