सिने जगत के अभिनय सम्राट दिलिप साहेब नें अभिनय क़ा कोई ऐसा आयाम नहीं बचा होगा ,जिसपर उन्होनें अभिनय नहीं किया होगा . 
उनकी संवाद अदायेगी क़ा लोहा पुरी 
फ़िल्म इंडस्ट्री  मानती थी . नए अभिनेता के लिए अभिनय के 
” आईकौन ” थे . बड़ी संजीदगी के साथ जीवंत अभिनय करते थे ,यूं कहिए क़ी वो अभिनय के विश्वविद्यालय थे । ये बातें आज स्वराँजलि द्वारा आयोजित आपात 
(वर्चुअल ) बैठक में शोक सभा में 
ये बातें रंगकर्मी, अभिनेता डा. ध्रुव कुमार नें कही। 
संयोजक व गायक अनिल रश्मि नें  कहा उनकी  फिल्मों में सर्वधर्म 
समभाव क़ी भावनाओं क़ी प्रचुरता
रहती थी साथ ही वो अपने चरित्र में 
ऐसे डूब जाते थे क़ी दर्शकों को लगता था की वो फ़िल्म नहीं देख रहे हैं ,उनकी अपनी ज़िन्दगी में घटना घट रही हैं।
घटनाओं को जीवंत देख रहे हैं। वास्तव में दिलिप साहेब अभिनय के 
शहंशाह थे । व्यावहारिक होने के साथ 
साथ ” प्रेम -दिल ” इंसान थे । 
** एक बात गौर तलब यह है कि 
     दिलिप साहेब बहुत अच्छे गायक 
    थे । उन्होंने सिर्फ़ एक फ़िल्म में 
    गाना गया था ,उसके बाद नहीं गाया क्योंकि वो अभिनेता ही बनें रहना चाहते थे । गाते तो बतौर 
गायक अच्छी पहचान उनकी बनती .
ऐसे महान अभिनय सम्राट विरले ही 
संसार में पैदा होते हैं । कलाकारों में 
तूफ़ानी शोक की लहर उमड़ पड़ी है.
स्वराँजलि परिवार अतीव मर्माहत है। 
संवेदना व्यक्त करने बालों में रंगकर्मी 
आलोक चोपड़ा ,अभिनेता जितेंद्र 
कुमार पाल , सहित्यकार प्रभात कुमार 
धवन , डा . करुणा निधि , डा .सूर्य प्रताप , संगीतकार पप्पू गुप्ता , सुनीता 
रानी , डा . शीला कुमारी , बबली कुमारी नें गहरी संवेदना व्यक्त की.
अंत में उनकी रूह -शांति के लिए 
दो मिनट क़ा मौन रख सर्वधर्म प्रार्थना 
की गई .


