Hindi News, हिंदी न्यूज़, Latest Hindi News, हिंदी ख़बरें , Breaking Hindi News,
भागवत कथा

Covid-19) त्याग की कथा।

भरतजी तो नंदिग्राम में रहते हैं, शत्रुघ्न जी महाराज उनके आदेश से राज्य संचालन करते हैं। 
.
एक एक दिन रात करते करते, भगवान को वनवास हुए तेरह वर्ष बीत गए।
.
एक रात की बात है, कौशल्या जी को सोते में अपने महल की छत पर किसी के चलने की आहट सुनाई दी। 
नींद खुल गई। पूछा कौन है ?
.
मालूम पड़ा श्रुतिकीर्तिजी हैं। नीचे बुलाया गया।
.
श्रुति, जो सबसे छोटी हैं, आईं, चरणों में प्रणाम कर खड़ी  हो गईं। 
.
राममाता ने पूछा, श्रुति ! इतनी रात को अकेली छत पर क्या कर रही हो बिटिया ? क्या नींद नहीं आ रही ? 
.
शत्रुघ्न कहाँ है ?
.
श्रुति की आँखें भर आईं, माँ की छाती से चिपटी, गोद में सिमट गईं, बोलीं, माँ उन्हें तो देखे हुए तेरह वर्ष हो गए।
.
उफ ! कौशल्या जी का कलेजा काँप गया।
.
तुरंत आवाज लगी, सेवक दौड़े आए। 
.
आधी रात ही पालकी तैयार हुई, आज शत्रुघ्नजी की खोज होगी, माँ चलीं खोजने।
.
शत्रुघ्नजी कहाँ मिले ?
.
अयोध्या के जिस दरवाजे के बाहर भरतजी नंदीग्राम में तपस्वी होकर रहते हैं, 
.
उसी दरवाजे के भीतर एक पत्थर की शिला है, उसी शिला पर, अपनी बाँह का तकिया बनाकर लेटे मिले। 
.
माँ सिराहने बैठ गईं, बालों में हाथ फिराया तो शत्रुघ्नजी ने आँखें खोलीं, माँ !
.
उठे, चरणों में गिरे, माँ ! आपने क्यों कष्ट किया ? मुझे बुलवा लिया होता।
.
माँ ने कहा, शत्रुघ्न ! यहाँ क्यों ?
.
शत्रुघ्नजी की रुलाई फूट पड़ी, रोते रोते ही बोले..
.
माँ ! भैया राम पिताजी की आज्ञा से वन चले गए, भैया लक्ष्मण भगवान राम के साथ चले गए, भैया भरत भी नंदिग्राम में हैं, 
.
क्या ये महल, ये रथ, ये राजसी वस्त्र, विधाता ने मेरे ही लिए बनाए हैं ?
कौशल्याजी निरुत्तर रह गईं।
.
यह है रामकथा…यह भोग की नहीं त्याग की कथा है, 
.
यहाँ त्याग की प्रतियोगिता चलती रही है और सभी प्रथम हैं, कोई पीछे नहीं रहा। 
.
चारो भाइयो का प्रेम और त्याग एक दूसरे के प्रति अलौकिक रहा। 
.
इसीलिए कहते है कि रामायण जीवन जीने की सबसे उत्तम शिक्षा देती है। जय जय श्री सीताराम
~~~~~~~~~~~~~~~~~
 (((((((जय हो चारो भय्यन की )))))))
~~~~~~~~~~~~~~~~~