Covid-19 ) भाग्य बड़ा या कर्म।
एक जंगल के दोनों ओर अलग-अलग राजाओं का राज्य था. और उसी जंगल में एक महात्मा रहते थे जिन्हे दोनों राजा अपना गुरु मानते थे. उसी जंगल के बीचो-बिच एक नदी बहती थीं. अक्सर उसी नदी को लेकर दोनों राज्यों के बिच झगड़े-फसाद होते रहते थे. एक बार...
Covid-19 आज का अमृत।
एक जादूगर जो मृत्यु के करीब था, मृत्यु से पहले अपने बेटे को चाँदी के सिक्कों से भरा थैला देता है और बताता है की “जब भी इस थैले से चाँदी के सिक्के खत्म हो जाएँ तो मैं तुम्हें एक प्रार्थना बताता हूँ, उसे दोहराने से चाँदी के...
Covid-19 ) गुरु की आज्ञा ।
एक शिष्य था समर्थ गुरु रामदास जी का जो भिक्षा लेने के लिए गांव में गया और घर-घर भिक्षा की मांग करने लगा। *समर्थ गुरु की जय ! भिक्षा देहिं….* *समर्थ गुरु की जय ! भिक्षा देहिं….* भीतर से जोर से दरवाजा खुला ओर एक बड़ी-बड़ी...
Covid-19 ) श्रीकृष्ण अपने पैर का अंगूठा क्यों पीते थे?
श्रीकृष्ण सच्चिदानन्दघन परब्रह्म परमात्मा हैं । यह सारा संसार उन्हीं की आनन्दमयी लीलाओं का विलास है । श्रीकृष्ण की लीलाओं में हमें उनके ऐश्वर्य के साथ-साथ माधुर्य के भी दर्शन होते हैं । ब्रज की लीलाओं में तो श्रीकृष्ण संसार के साथ बिलकुल बँधे-बँधे से दिखायी पड़ते हैं...
Covid-19 ) भगवान श्री कृष्ण की मालिन पर कृपा।
मथुरा से गोकुल में सुखिया नाम की मालिन फूल फल बेचने आया करती थी। जब वह गोकुल में गोपियों के घर जाया करती तो हमेशा गोपियों से कन्हैया के बारे में सुना करती थी, गोपिया कहती नन्दरानी माता यशोदा जी अपनी मधुर स्वर गाकर अपने लाला कन्हैया को...
Covid-19 ) भक्त का भाव ही प्रभुको प्रिय है!
बनारस में उस समय कथावाचक व्यास डोगरे जी का जमाना था। बनारस का वणिक समाज उनका बहुत सम्मान करता था। वो चलते थे तो एक काफिला साथ चलता था । एक दिन वे दुर्गा मंदिर से दर्शन करके निकले तो एक कोने में बैठे ब्राह्मण पर दृष्टि पड़ी...
Covid-19 ) तुलसीदास और श्री राम मिलन।
काशी में एक जगह पर तुलसीदास रोज रामचरित मानस को गाते थे वो जगह थी अस्सीघाट। उनकी कथा को बहुत सारे भक्त सुनने आते थे। लेकिन एक बार गोस्वामी प्रातःकाल शौच करके आ रहे थे तो कोई एक प्रेत से इनका मिलन हुआ। उस प्रेत ने प्रसन्न होकर...
Covid-19 ) पुण्यों का मोल।
दान से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है और साथ ही जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्मों के फल भी नष्ट हो जाते हैं। शास्त्रों में दान का विशेष महत्व बताया गया है। इस पुण्य कर्म में समाज में समानता का भाव बना रहता है और जरुरतमंद व्यक्ति को...
Covid-19 ) माता यशोदा का बाल गोपाल को श्रीराम कथा सुनाना।
बाल कृष्ण की लीलाए बड़ी मनमोहनी है, बड़े-बड़े ऋषि मुनि भी भगवान श्री कृष्ण की इन लीलाओ का चिंतन करते रहते है और इन्ही लीलाओ का चिंतन करते हुये अपनी देह का त्याग करते है भगवान की इन लीलाओ का चिन्तन स्वयं शिव शंकर जी भी करते है...
Covid-19 ) एक बहुत ही सुंदर दृष्टांत।
एक बार की बात है वीणा बजाते हुए नारद मुनि भगवान श्रीराम के द्वार पर पहुँचे *नारायण नारायण !!* *नारदजी ने देखा कि द्वार पर हनुमान जी पहरा दे रहे है।* *हनुमान जी ने पूछा: नारद मुनि ! कहाँ जा रहे हो?* *नारदजी बोले: मैं प्रभु से मिलने...
Covid-19 ) हनुमानजी का ऋण ।
रामजी लंका पर विजय प्राप्त करके आए तो, भगवान ने विभीषण जी, जामवंत जी, अंगद जी, सुग्रीव जी सब को अयोध्या से विदा किया। तो सब ने सोचा हनुमान जी को प्रभु बाद में बिदा करेंगे, लेकिन रामजी ने हनुमानजी को विदा ही नहीं किया,अब प्रजा बात बनाने...
Covid-19 ) कलियुग केवल नाम अधारा / संतों ने कहा है—कलियुग तुम धन्य हो ! क्यों धन्य है ? इसका उत्तर इस पद में दिया गया है। पढ़े विस्तार से।
कलियुग केवल नाम अधारा। संतों ने कहा है—कलियुग तुम धन्य हो ! क्यों धन्य है ? इसका उत्तर इस पद में दिया गया है— कलियुग केवल नाम अधारा । सुमिरि सुमिरि भव उतरहु पारा ।। कलियुग सम युग आन नहिं । जो नर कर विश्वास ।। गाइ राम-गुण-गण...
Covid-19 ) पुण्यों का मोल ।
दान से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है और साथ ही जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्मों के फल भी नष्ट हो जाते हैं। .शास्त्रों में दान का विशेष महत्व बताया गया है। इस पुण्य कर्म में समाज में समानता का भाव बना रहता है और जरुरतमंद व्यक्ति को...
Covid-19 ) कथा नर और नारायण की।
प्रभु श्री कृष्ण जी को अर्जुन सबसे प्रिय इसलिए थे कि वो नर के अवतार थे और श्री कृष्ण स्वयं नारायण थे। आपने नर और नारायण का नाम तो सुना ही होगा। भारत का शिरोमुकुट हिमालय है, जो समस्त पर्वतों का पति होने से गिरिराज कहलाता है उसी...
Covid-19 ) विद्वान व विद्यावान में अन्तर।
विद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर ॥ एक होता है विद्वान और एक विद्यावान । दोनों में आपस में बहुत अन्तर है । इसे हम ऐसे समझ सकते हैं, रावण विद्वान है और हनुमान जी विद्यावान हैं । रावण के दस सिर हैं ।...