(1) भारतीय मूल के आप्रवासियों की संस्कृतिक चेतना को रामचरित मानस अनुप्राणित कर रहा है। (2) जीवन में मूल्यों की प्रतिष्ठा की चाह में हर […]
भागवत कथा
सद्गुण” बढ़ाएं, “सुसंस्कृत” बनें मनुष्य के पास सबसे बड़ी पूजा सद्गुणों की है। जिसके पास जितने सद्गुण हैं, वह उतना ही बड़ा अमीर है। धन […]
यदि “श्रम” का सत्परिणाम सुनिश्चित न होता तो कोई क्यों श्रमशीलता का कष्टसाध्य मार्ग अपनाता ? कृषि, व्यापार, शिल्प, शिक्षा आदि में करोड़ों आदमी निरंतर […]
भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया और इसी उपदेश को सुनकर अर्जुन को ज्ञान की प्राप्ति हुई। […]
“गलती और “गलत” में एक छोटा सा अंतर होता है – नीयत का। समय बहरा है किसी की नहीं सुनता लेकिन वह अंधा नहीं है […]
राम भारत के इष्ट हैं, आत्मा हैं, आदर्श हैं, पुरोधा हैं, संस्कृति के वाहक हैं। राम भारत के पिता हैं। राम निरीह में हैं, राम […]
तरह हरा चश्मा चढ़ा लेने पर चारों और हरा ही हरा, लाल चढ़ा लेने पर लाल ही लाल दिखाई देता है, वैसे ही संसार की […]
सत्संग कथा: एक माँ थी उसका एक बेटा था। माँ-बेटे बड़े गरीब थे। एक दिन माँ ने बेटे से कहा – बेटा !! यहाँ से […]
संजीवनी ज्ञानामृत| भलाई, उत्कृष्टता, स्वच्छता आदि सब ईश्वर प्रकृति, नैतिक विधान की धरती पर मिलती हैं; वे अनादि हैं, स्थिर हैं, अनंत हैं। सृष्टि की […]
इस संसार में अनादि काल से राग द्वेष चल रहा है, और आगे भी अनंत काल तक चलता रहेगा। राग द्वेष का मूल कारण है […]
संजीवनी ज्ञानामृत | “सद्विचारों” की महत्ता का अनुभव तो हम करते हैं, पर उन पर दृढ़ नहीं रह पाते। जब कोई अच्छी पुस्तक पढ़ते या […]
श्रीरामः शरणं समस्तजगतां रामं विना का गती, रामेण प्रतिहन्यते कलिमलं रामाय कार्यं नमः। रामात् त्रस्यति कालभीमभुजगो रामस्य सर्वं वशे, रामे भक्तिरखण्डिता भवतु मे राम! त्वमेवाश्रयः।। […]
दृष्टिकोण की विकृतियाँ हमें अकारण उलझनों में पटकती और खिन्न रहने के लिए विवश करती हैं। हम गरीब हैं या अमीर इसका निर्णय दूसरों के […]
दृष्टिकोण की विकृतियाँ हमें अकारण उलझनों में पटकती और खिन्न रहने के लिए विवश करती हैं। हम गरीब हैं या अमीर इसका निर्णय दूसरों के […]
संजीवनी ज्ञानामृत। जब संसार में सभी साथी मनुष्य का साथ छोड़ दें, पराजय और पीड़ाओं के दंश मनुष्य को घायल कर दें, पैरों के नीचे […]