ज्ञान की बात

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‼️ लक्ष्य ‼️ ज्येष्ठ कृष्णपक्ष द्वितीया २०८१

विवेकानंद के पास आये और उनसे नम्रतापूर्वक पूछा– आपने हम लोगों की बात सुनी। आपने बुरा माना होगा ?
स्वामीजी ने सहज शालीनता से कहा– “मेरा मस्तिष्क अपने ही कार्यों में इतना अधिक व्यस्त था कि आप लोगों की बात सुनी भी पर उन पर ध्यान देने और उनका बुरा मानने का अवसर ही नहीं मिला।” स्वामीजी की यह जवाब सुनकर अंग्रेजों का सिर शर्म से झुक गया और उन्होंने चरणों में झुककर उनकी शिष्यता स्वीकार कर ली।

प्रार्थना में अतुलनीय बल है | २२ मई वैशाख शुक्लपक्ष चतुर्दशी २०८१

“प्रार्थना” विश्वास की प्रतिध्वनि है । रथ के पहियों में जितना अधिक भार होता है, उतना ही गहरा निशान वे धरती में बना देते हैं । प्रार्थना की रेखाएं लक्ष्य तक दौड़ी जाती हैं, और मनोवांछित सफलता खींच लाती हैं । विश्वास जितना उत्कृष्ट होगा परिणाम भी उतने ही सत्वर और प्रभावशाली होंगे ।

दैनिक जीवन का अनिवार्य क्रम बने / वैशाख शुक्लपक्ष नवमी २०८१

आज के धनधारी, सत्ताधारी, वैज्ञानिक, राजनीतिज्ञ आदि अपना काम करते हुए नित्य कुछ समय प्रभु की प्रार्थना का भी कार्यक्रम अपना लें, तो आज के यह सारे विनाश साधन स्वतः निर्माण साधनों में बदल जाएँ । उनके जीवन का प्रवाह अनायास ही स्वार्थ की ओर से परमार्थ की ओर बह चलेगा और तब वे स्वयं ही ध्वंसक उपादानों से घृणा करने लगेंगे और अपनी क्षमताओं को विश्व कल्याण की दिशा में मोड़ देंगे ।

हम सद्गुणी बनें / व्यवहार की मधुरता, सरलता और निष्कपटता में वह शक्ति / फाल्गुन कृष्णपक्ष अमावस्या 2080

व्यवहार की मधुरता, सरलता और निष्कपटता में वह शक्ति होती है जो दूसरों के बंद द्वार खोल देती है। प्रारंभिक मिलन के मधुर व्यवहार से […]

चाह्तों के जहाजों पर अक्सर आशाएं रोज सफर करती हैं KAVITA

 क्या लिखूं…..?ऐसा जो हर किसी के लिए एक रौशनी बन जाए आंसू की एक एक बूँद सबके लिए दीप बनकर  जगमगाए …चाह्तों के जहाजों पर अक्सर […]

मोहग्रस्त नहीं, विवेकवान बनें / फाल्गुन कृष्णपक्ष द्वादशी-2080

मानस संजीवनी ज्ञानपीठ (सनातन वैदिक शिक्षा एवं शोध संस्थान) परिवार के प्रति हमें सच्चे अर्थों में कर्त्तव्यपरायण और उत्तरदायित्व निर्वाह करने वाला होना चाहिए। आज […]